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गुजराती अनुवाद :
हे मूढ! कया अधर्मी वडे तने आवी बद्धि अपाई? अथवा दैव (भाग्य) ज्यारे कोपायमान थाय छे त्यारे पुरुषने शुं लाकडीवडे मारे छे? हिन्दी अनुवाद :__ हे मूढ़! किस अधर्मी के द्वारा तुझे ऐसी बुद्धि दी गई? अथवा दैव (भाग्य) जब क्रोधित होता है, तब पुरुष को क्या लकड़ी से मारता है? गाहा :
रे मूढ! पुन्न-वज्जिय! उम्मग्ग-पयट्ट! नट्ठ-मज्जाय! ।
कुविओ तुज्झ कयंतो तेण तुमे एरिसं विहियं ।। ३५।। संस्कृत छाया :
रे मूढ! पुण्यवर्जित! उन्मार्ग प्रवृत्त! नष्टमर्याद! ।
कुपितस्तुभ्यं कृतान्तस्तेन त्वया ईदृशं विहितम् ।।३५।। गुजराती अनुवाद :
हे मूढ! पुण्य रहित! उन्मार्गगामी! मर्यादारहित! तारा ऊपर यमराजा कोपित थया छे। तेथी तारा वडे आ प्रमाणे कटायुं। हिन्दी अनुवाद :
हे मूढ़! पुण्य रहित! उन्मार्गगामी! मर्यादारहित! तुम्हारे ऊपर यमराज क्रोधित हुए हैं, इसीलिए तुम्हारे द्वारा ऐसा कार्य किया गया। गाहा :
जेण बलेणं एयं राय-विरुद्धं तुमे समायरियं ।
तं कुणसु इण्हि पयडं मा भणिहिसि जं न भणियंति ।।३६।। संस्कृत छाया :
येन बलेन एतद्राजविरुद्धं त्वया समाचरितम् ।
तं कुरु इदानीं प्रकटं मा भणिष्यसि यन्न भणितमिति ।।३६।। गुजराती अनुवाद :
जेना बल वडे तारा वडे आ राज्यविरुद्ध कार्य करायुं छे, तेनुं नाम हमणां मने जणाव, एम न कहेतो के मने कोइस कीधु नथी।
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