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________________ गुजराती अनुवाद :_____ अने हे वल्लभ! जो स्वु पुण्य होय तो पुरुषार्थ करवा वडे | लाध? अने जो पुण्य नथी तो पुरुषार्थ पण निष्फळ ज छ। हिन्दी अनुवाद : और हे वल्लभ! यदि ऐसा पुण्य हो तो पुरुषार्थ से क्या प्रयोजन? और यदि पुण्य नहीं है तो पुरुषार्थ भी निष्फल ही है। गाहा : एक्कत्तो मह पुन्नं अन्नत्तो दप्पिओ इमो सत्तू । पेच्छामो ता सुंदरि! कस्स जओ होज्ज एयाण? ।। २८।। संस्कृत छाया : एकत्र मम पुण्यमन्यत्र दर्पितोऽयं शत्रः । पश्यावस्तावत् सुन्दरि! कस्य जयो भवेदेतयोः? ।। २८।। गुजराती अनुवाद : एक बाजु मारुं पुण्य अने बीजी बाजु मदोन्मत्त आ शत्रु छे. तेथी हे सुंदरी! आपणे चे हवे जोइस बेमाथी कोनो जय थाय? हिन्दी अनुवाद : एक ओर मेरा पुण्य और दूसरी ओर मदोन्मत्त यह शत्रु है। अत: हे सुन्दरी! अब हम देखते हैं कि दोनों में से किसकी जीत होती है? गाहा : एमाइ-बहु-विगप्पं उल्लवमाणो पियाए सह जाव । भो सुप्पइट्ठ! पत्तो तुरिय-गई इह पएसम्मि ।। २९।। संस्कृत छाया : एवमादि बहुविकल्पमुल्लपन् प्रियया सह यावद् । भोः सुप्रतिष्ठ! प्राप्तस्त्वरितगतिरिह प्रदेशे ।।२९।। गुजराती अनुवाद : इत्यादि अनेक संकल्प-विकल्पो प्रिया साथे करतो हतो, त्यां तो हे, सुप्रतिष्ठ! उतावली गतिवालो ते आ प्रदेशमां आवी पहोंच्यो। 515
SR No.525071
Book TitleSramana 2010 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size20 MB
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