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हिन्दी अनुवाद :
हे स्वामी! इस समय आप कर्म का आलंबन लिए हुए हैं, अतः आपत्ति के निवारण हेतु कोई भी उपाय नहीं सोचते हैं।
(चित्रवेगनुं स्वदोषदर्शन अने आत्मसंतोष )
गाहा :
तत्तोय मए भणियं मा सुंदरि ! कुणसु किंचिवि विसायं । अवियारिय कय- कज्जं एरिसयं होइ नणु सुयणु ! ।। २१ । । संस्कृत छाया :
ततश्च मया भणितं मा सुन्दरि ! कुरु किञ्चिदपि विषादम् । अविचार्य कृतकार्यमीदृशं भवति ननु सुतनो ! ।। २१ ।।
गुजराती अनुवाद :
त्यारे मारा वडे कहेवायुं 'हे सुंदरी! जरापण खेद न कर, हे प्रिये ! विचार्या वगर करेल कार्यनुं (फल) आवुं ज थाय छे।'
हिन्दी अनुवाद :
तब मेरे द्वारा कहा गया- ' - 'हे सुंदरी! जरा भी चिन्ता मत कर, हे प्रिये ! बिना विचारे हुए किए गए कार्य का (फल) ऐसा ही होता है । '
गाहा :
अप्प - बलं च पर-बलं अणवेक्खिय आढवेइ जो कज्जं । अवमाण- पाण- नासं अवस्स सो पावए पुरिसो ।। २२ ।।
संस्कृत छाया :
आत्मबलश्च परबलमनपेक्ष्य आरभते यः कार्यम् ।
अपमान प्राणनाश-मवश्यं स प्राप्नोति पुरुषः ।। २२।। गुजराती अनुवाद :
जो पोतानी शक्ति अने अन्यनी शक्तिने जोया वगर ज कार्यनो प्रारंभ करे छे ते पुरुष अवश्य अपमान तथा मरणने प्राप्त करे छे।
हिन्दी अनुवाद :
जो अपनी शक्ति और दूसरे की शक्ति देखे बिना ही कार्य का प्रारम्भ करता है, वह पुरुष अपमान और मृत्यु को प्राप्त करता है।
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