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________________ गुजराती अनुवाद : जो हुँ गर्भमांथी ज पडी गई होत, अथवा बालपणमां जो मरी गई होत तो शुं मारा निमिते तमने आ आपत्ति आवत? हिन्दी अनुवाद : यदि मैं गर्भ से ही गिर गई होती, अथवा बचपन में ही मर गई होती तो क्या मेरे कारण आपके ऊपर यह विपत्ति आती? गाहा : एसो मुह-महुरोवि हु परोप्परं अम्ह गरुय-अणुराओ। गम्भोव्व वेसरीए जाओ गरु-आवया-हेऊ ।।१९।। संस्कृत छाया : एष मुख-मधुरोऽपि खलु परस्परमावयोर्गुरुकानुरागः । गर्भ इव वेसर्या जातो गुर्वापद्धेतुः ।।१९।। गुजराती अनुवाद : प्रारंथमां मधुर स्वो परस्पर आपणो गाढ अनुराग अश्वतरीना गर्थनी जेम भाटे दुःख नां कारणलप बन्यो। हिन्दी अनुवाद : प्रारम्भ में मधुर ऐसा हमारा प्रगाढ़ अनुराग अश्वतरी (खच्चरी) के गर्भ के समान बहुत बड़े दुःख का कारण बना। गाहा : इण्हि च तुमं सामिय! कम्मं अवलंबिऊण थक्को सि । आवय-निवारणत्थं न चिंतसे किंचिवि उवायं ।।२०।। संस्कृत छाया : इदानीं च त्वं स्वामिन्! कर्मावलम्ब्य स्थितोऽसि । आपन्निवारणार्थं न चिन्तयसि किञ्चिदप्युपायम् ।।२०।। गुजराती अनुवाद :. हे स्वामी! हालमा तमे कर्मनू आलंबन लईने रह्या छो तेथी आपत्तिना निवारण माटे कांईपण उपाय चिंतवता नथी। 511
SR No.525071
Book TitleSramana 2010 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2010
Total Pages272
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size20 MB
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