________________
जैन जगत् : १४१
साहित्यों को आने वाली पीढ़ी के लिये संरक्षण एवं संवर्धन करने में यह एक अग्रणी संस्था है।
__इस ज्ञान मंदिर का धर्म प्रचार का कार्य और भी सुविधाजनक हो जायेगा यदि कुछ योग्य व अनुभवी व्यक्तियों की यहाँ नियुक्ति हो जाये। मंदिर में हस्तप्रतसूची कार्य के लिये पंडित, ग्रन्थालय के विविध कार्य के लिये सहायक, म्यूजियम क्यूरेटर की आवश्यकता है। १. हस्तप्रतसूची कार्य के लिये व्यक्ति को १२वीं उत्तीर्ण, गुजराती, हिन्दी, अंग्रेजी,
संस्कृत तथा प्राकृत भाषा के साथ जैन धर्म व दर्शन की जानकारी व कम्प्यूटर की जानकारी अपेक्षित है। ग्रन्थालय के विविध कार्य के लिये सहायक-प्राकृत, संस्कृत, गुजराती, अंग्रेजी, हिन्दी भाषा का ज्ञान, जैन धर्म व दर्शन की सामान्य जानकारी
के साथ धर्म व साहित्य की जानकारी अपेक्षित है। ३. म्यूजियम क्यूरेटर- म्यूजियोलॉजी की डिग्री अथवा डिप्लोमा, भारतीय कला,
इतिहास, संस्कृति एवं कम्प्यूटर ज्ञान अपेक्षित है। इच्छुक उम्मीदवार इस पते पर सम्पर्क कर सकते हैंकनुभाई शाह, नियामक, आचार्यश्री कैलाशसागरसूरि ज्ञानमंदिर, कोबा, गाँधीनगर-३८२००७, फोन-(०७९) २३२७६२५२
शोक-समाचार जैन विद्वत् जगत् का सूर्य अस्त हो गया जैनागम रत्नाकर, जैनविद्या दिवाकर, ज्ञानदर्शन और चारित्ररूपी त्रिवेणी की जीवन्त प्रतिमूर्ति भक्तहृदय परम पूज्य श्री जम्बूविजय जी. म. सा. का अपने शिष्य सहित एक दुर्घटना में कालधर्म को प्राप्त होना जैन जगत् और विशेष रूप से जैन विद्वत् जगत् पर अनभ्र वज्रपात है।
१२ नवम्बर २००९ को प्रातःकाल नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ में चातुर्मास पूर्ण कर जैसलमेर की ओर विहार करते समय बालोतरा एवं बाड़मेर के बीच एक सड़क दुर्घटना में आप काल धर्म को पाप्त हो गये। आपके साथ विहाररत एक युवा शिष्य मुनि श्री नमस्कारविजय जी भी घटनास्थल पर ही हताहत हो गये। दो अन्य वयोवृद्ध मुनियों में धर्मघोष विजयजी को भी गम्भीर चोटें आयीं।
जैन विद्या के प्राचीन ग्रन्थ रत्नों को आलोकित करने वाली वह कलम