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१४० : श्रमण, वर्ष ६०-६१, अंक ४, १ / अक्टू.-दिसम्बर ०९-जन.-मार्च-१०
श्रीमती स्वर्णकान्ता जैन, धर्मपत्नी स्व. श्री रमेश कुमार जैन (स्यालकोट वाले) ने की। स्वागताध्यक्ष थे श्री सुरेन्द्र मोहन जैन (मुकेरिया वाले) तथा ध्वजारोहण किया श्री सुरेश कुमार राजन कुमार जैन (स्यालकोट वाले)ने। इस अवसर पर अनेक गणमान्य अतिथि मौजूद थे। वक्ताओं ने श्री दित्तूबाबा के चामत्कारिक प्रभावों एवं उनकी उत्कृष्ट तपस्या का गुणगान किया तथा इस समग्र योजना के सूत्रधार समाजरत्न श्री हीरालाल जैन के सद्प्रयासों की सराहना की।
तेरहवां चौदहवां आचार्य हेमचन्द्र सूरि सम्मान पुरस्कार श्री जसवन्त धर्मार्थ ट्रस्ट, नई दिल्ली द्वारा प्रायोजित वर्ष २००७ एवं २००८ के लिये तेरहवें एवं चौदहवें आचार्य हेमचन्द्र सूरि पुरस्कारों की घोषणा २१ जनवरी, २०१० को इंडिया इन्टरनेशनल सेन्टर, नई दिल्ली में आयोजित एक सादे समारोह में कर दी गयी। वर्ष २००७ के लिये प्रोफेसर एन.एम. कंसारा तथा वर्ष २००८ के लिये प्रोफेसर तपस्वी शम्भूचन्द्र नन्दी को आचार्य हेमचन्द्र सूरि पुरस्कार देने की घोषणा की गयी। माननीय न्यायधीश श्री बी.सी. पटेल, ने पुरस्कार प्राप्त कर्ताओं का स्वागत किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता अक्षरधाम के मुख्य पी.आर.ओ. श्री जनक दवे ने किया। इस अवसर पर अनेक गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। ध्यातव्य है कि इसके पूर्व प्रो०. एच.सी. भायाणी (१९९५), प्रो. एम. ए. ढाकी (१९९६), प्रो. वी. एम. कुलकर्णी (१९९७), प्रो० ए. एम. घाटगे (१९९८), प्रो. एस. आर. बनर्जी (१९९९),पं लक्ष्मण भाई भोजक (२०००), प्रो. जी. वी. टगारे (२००१), प्रो. नगीन. जे. शाह (२००२), प्रो. विलियम बी. बोली (२००३), मुनि श्री जम्बू विजयजी (२००४), प्रो. एम. ए. मेहेन्डले (२००५) तथा प्रो. रञ्जन सूरिदेव (२००६) को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
आवश्यकता है महावीर जैन आराधना केन्द्र जैन धर्म, भारतीय संस्कृति, वैदिक धर्म, प्राच्य विद्या पर लगभग दो लाख हस्तप्रत एवं डेढ़ लाख मुद्रित पुस्तकप्रत से समृद्ध महावीर जैन आराधना केन्द्र, कोबा, दुनियां का अद्भुत एवं अद्यतन जैन ज्ञान भंडार है। साधु-साध्वियों एवं संशोधकों को आगम, न्याय, दर्शन, योग साहित्य, व्याकरण, ज्योतिष, आयुर्वेद, भारतीय प्राचीन सभ्यता-संस्कृति से सम्बन्धित साहित्य उपलब्ध करवाने एवं इन