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विज्ञान के क्षेत्र में अहिंसा की प्रासंगिकता : ८७
वाली हानि के प्रति जनसाधारण को आगाह कराये उनमें चेतना उत्पन्न करें। प्रशासकों को चाहिये कि वे राष्ट्रीय योजनाएँ बनाते समय अहिंसा - दर्शन की वास्तविकताओं को ध्यान में रखें।
सन्दर्भ :
१. अहिंसा और उसके विचारक, आदर्श साहित्य संघ, चूरु, १९५१,
२. अहिंसा, पृ० ४४.
३. विज्ञान के सन्दर्भ में जैन धर्म मुनि सुखलाल, आदर्श साहित्य संघ,
चूरु, १९८५, पृ० १३-१४.
४. जैन धर्म पं० कैलाशचन्द्र शास्त्री, प्राच्य श्रमण भारती, मुजफ्फरनगर
२००१, पृ० १५४.
५. विज्ञान प्रगति - जनवरी २००१, पृ० ३८.
६. वही - जनवरी २००१, पृ० २७. ७. वही, अंक ३१, १९९९, पृ० ६३.
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१, पृ० ११.
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