________________
विज्ञान के क्षेत्र में अहिंसा की प्रासंगिकता : ८५
माना गया है। यह मनुष्य को जीवन-शक्ति प्रदान करता है। जल शक्तिवर्धक और रोगनाशक है।
कीटनाशक और कीड़ों का महत्त्व
प्रत्येक जीव की तरह कीड़ों का भी बहुत महत्त्व होता है। विश्व के बहुत से फूलों के परागकण में कीड़ों का मुख्य योगदान है अर्थात् पेड़-पौधों के बीज एवं फल बनाने में कीड़े महत्त्वपूर्ण कार्य करते हैं।
विश्व में प्रतिवर्ष २० लाख लोग कीटनाशी विषक्तता से ग्रसित हो जाते हैं। जिनमें से २० हजार की मृत्यु हो जाती है। भारत में कीट पतंगों की प्रजातियां संकटापन्न स्थिति में जा रही हैं ऐसे में कीटनाशकों के बढ़ते उपयोग और उसके होने वाले दुष्प्रभावों से वैज्ञानिक भी चिंतित हो बैठे हैं। सदियों से विभिन्न प्रकार के कीटों का मानव जीवन से गहरा सम्बन्ध रहा है। प्रकृति में विभिन्न प्रकार के कीट पाए जाते हैं इनमें से कुछ कीट हमारे लिए उपयोगी हैं, किन्तु अधिकांश कीट हमारे लिए हानिकारक ही होते हैं। जहाँ एक ओर उपयोगी कीटों से लाभदायक वस्तुएँ प्राप्त होती हैं, वहीं हानिकारक कीटों से हमें बहुत-सी हानियाँ भी होती हैं। हानिकारक कीट न केवल मानव, बल्कि विभिन्न जीवों में भी अनेक प्रकार के रोग फैलाते हैं।
आहार और खाद्यान समस्या
खाद्य पदार्थों के संरक्षण में भी किरणन का प्रयोग भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र में किया जा रहा है। आलू, प्याज, अनाज, मसाला, फल इत्यादि को किरणन द्वारा अधिक समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है। पौष्टिकता सुनिश्चित रहती है और इन खाद्य पदार्थों से स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता है। खाद्यान्न समस्या का एक प्रमुख कारण माँसाहार तथा एक मात्र समाधान शाकाहार ही है जो अहिंसा से ही सम्भव है।
मानसिक हिंसा का त्याग
शारीरिक हिंसा के प्रमुख उद्दीपकों और उद्रेकों में क्षुधा तृष्णा, बल-प्रदर्शन, अन्याय, प्रतिकारों और कभी- कभी पामर अहंकारों को गिन सकते हैं, वैसे ही मानसिक हिंसा में अतृप्त तनाव, स्वयं को सिद्ध और स्थापित करने की व्यग्रता तथा अनियंत्रित संवेगों को शामिल किया जा सकता है। मनः चिकित्सा- शास्त्रियों ने तो मानसिक हिंसा पर एक विस्तृत वैज्ञानिक विश्लेषण प्रायोजित कर लिया है। जिसके लक्षण और प्रभाव अधुनातन, भौतिक, उपभोगवादी जीवन प्रवाह और नीतिहीन अवधारणाओं के क्रम में बढ़ते ही जा रहे हैं।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org