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विज्ञान के क्षेत्र में अहिंसा की प्रासंगिकता : ७५
हों, तो निश्चित ही विज्ञान मानव जाति का शत्रु न बनकर मित्र बन जायेगा। अतः विश्व कल्याण के लिये नितांत आवश्यक है कि विज्ञान और अहिंसा में सामंजस्य स्थापित हो तथा दोनों एक-दूसरे के सहचर हों। महात्मा गांधी ने भी कहा है -
'विज्ञान वरदान तभी सिद्ध हो सकता है, जब अहिंसा के साथ उसकी सगाई हो।'
इस अखण्ड ब्रह्माण्ड में अहिंसा भगवती ही भयभीतों का शरण है, पक्षियों का पंख है, प्यासों का पानी है, भूखों का अंत है, समुद्र यात्रियों का पोत है और वन यात्रियों के लिये सार्थ है" - भगवान महावीर
'नहीं अहिंसा कायरता है वह है अंत:शौर्य उदान। धरा स्वर्ग होती है इससे, होता स्वर्णित नवल विहान। विज्ञान से हिंसा, और अहिंसा पोषण है जन-जन का प्राण बिना अहिंसा हुआ न होगा, पीड़ित मानवता का त्राण।
उपाध्याय अमरमुनि
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