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: श्रमण, वर्ष ५९, अंक १ / जनवरी-मार्च २००८
जीवन में शांति प्राप्त करने के लिए एक महान सूत्र महावीर ने दिया था। वह सूत्र है- 'अहिंसा' + 'विज्ञान' = मानव जाति का उत्थान तथा अहिंसा - विज्ञान = मानव जाति का विध्वंस।' कहने का अर्थ है कि हमारे यहाँ पर भौतिक ज्ञान की • अवहेलना, उपेक्षा नहीं की गई बल्कि उसके साथ आध्यात्मिक ज्ञान को भी अपनाने पर जोर दिया गया।
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वैज्ञानिकों ने सिद्ध कर दिया है कि पशुओं की करुण चीत्कार से भूकम्प होने लगे हैं। आज बढ़ती हिंसा से प्रकृति का स्वरूप पलट रहा है। जगह-जगह बाढ़ आने लगी है। महामारियाँ फैलने लगी हैं। हिंसा की इतिश्री अब होनी चाहिये। अतः अहिंसा विज्ञान के लिए आवश्यक है।
सच तो यह है कि सुख देकर ही सुख पाया जा सकता है। यही अहिंसा है और अहिंसात्मक व्यवहार ही है सुख का राजमार्ग । अतः स्पष्ट हो जाता है कि विज्ञान के क्षेत्र में अहिंसा की कितनी प्रासंगिकता है।
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