________________
६२ CS श्रमण, वर्ष ५९, अंक १ / जनवरी-मार्च २००८
वैभव के अभियान, जरा-सी गलती बना सकते हैं नीरव श्मशान। किसी दार्शनिक ने ठीक ही कहा होगा है कि 'उन्हें नहीं पता तृतीय विश्व-युद्ध किन अस्त्रों से लड़ा जायेगा, पर वे इतना जरूर कह सकते हैं कि चतुर्थ विश्व युद्ध अवश्य ही तीर, कमान, भालों आदि से लड़ा जायेगा।' अर्थात् उनके अनुसार मनुष्य ने भयंकर अणुबमों का आविष्कार कर दिया है जिससे तृतीय विश्व युद्ध के दौरान मानव सभ्यता पूरी तरह लुप्त हो जायेगी। उसके बाद सभ्यता का पुनर्विकास प्रारंभ होगा।
अतः मनुष्य को यदि शांति, सद्भाव, एकता, भाईचारे के साथ इस दुनियां में रहना है तो उसे विज्ञान के साथ अहिंसा का उपयोग करना होगा, अन्यथा पता नहीं बगैर अहिंसा के विज्ञान तो रहेगा पर शायद विज्ञान को समझने, उसके गूढ़ रहस्यों को जानने वाले तथा उससे प्रभावित होने वाले रहें या न रहें। यदि अहिंसा और विज्ञान में समन्वय सम्भव हो सकता है तो हम अपने प्राचीन गौरव को पुनः प्राप्त कर सकेंगे।
जीओ और जीने दो । विज्ञान के साथ अहिंसा होने दो।।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org