________________
६० :
श्रमण, वर्ष ५९, अंक १/जनवरी-मार्च २००८
धकेल रहा है। विज्ञान के क्षेत्र में जहाँ अहिंसा होगी विकास भी वहीं पर होगा और जहाँ अहिंसा का नामोनिशान तक न होगा वहाँ विनाश के अतिरिक्त और कुछ न होगा। विज्ञान की ही भाषा में कहें तो विज्ञान के बुरे प्रभाव (दुष्प्रभाव) और अहिंसा में व्युत्क्रमानुपात का संबंध है अर्थात् जैसे-जैसे अहिंसा बढ़ेगी दुष्प्रभाव कम होगा और जैसे-जैसे दुष्प्रभाव बढ़ेंगे अहिंसा में आवश्यक रूप से कटौती होगी।
___ अहिंसा का शाब्दिक अर्थ है- 'हिंसा न करना', 'किसी को भी न सताना', 'किसी जीव-मात्र की भी हत्या न करना' आदि। अहिंसा शब्द का भावनात्मक अर्थ है कि मानव मात्र की सेवा करना, किसी को भी दुःखी न करना, किसी को किसी तरह की चोट भी न पहुँचाना, दीन-दुःखियों और पीड़ित लोगों की सहायता करना, उनके दुःख-दर्द को बाँटना आदि।
अहिंसा और विज्ञान में गहरा सम्बन्ध है। वैज्ञानिक शक्ति के साथ अहिंसा का होना, विज्ञान तथा उसके प्रभावों में चार चाँद लगा देता है। विज्ञान के बढ़ते हुए चरण निरन्तर मानव के लिए कल्याण और सुख का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। अहिंसा सहित विज्ञान ने मानव मात्र को अनेक सुख-सुविधाओं से परिपूर्ण किया है। वैभव-विलास और अनन्त सामग्री जुटाकर विज्ञान ने धरती पर स्वर्ग उतार दिया है। लेकिन साथ ही अहिंसा रहित विज्ञान ने अणु तथा परमाणु बमों के आविष्कार तथा उसके दुरुपयोग से इस अति सुंदर, मनमोहक पृथ्वी को नष्ट करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। विज्ञान ने सदैव मानव को स्वर्ग के दर्शन कराए। अहिंसा सहित विज्ञान के सुप्रभाव ने मानव को पृथ्वी पर स्वर्ग का आभास कराया तथा अहिंसा रहित विज्ञान के दुष्प्रभाव ने निरीह, निर्दोष प्राणियों को मृत्युलोक ही पहुँचा दिया।
विज्ञान के साथ अहिंसा का होना उतना ही आवश्यक है जितना कि जलेबी में मिठास के लिए शक्कर की चासनी का होना। जिस प्रकार बिना मिठास के जलेबी अधूरी है उसी प्रकार बिना अहिंसा के विज्ञान भी अपूर्ण है। अगर जलेबी में मीठापन नहीं होगा तो जलेबी को पसंद करने वाले लोगों को बहुत निराशा, दुःख होगा, परन्तु खुशी होगी तो केवल मधुमेह रोगियों व मिठाई पसंद न करने वाले लोगों को, इसी प्रकार यदि विज्ञान में अहिंसा का अभाव अथवा कमी होगी तो वह केवल आतंकवादियों, हिंसा करने वालों, उपद्रव मचाने वालों (मधुमेह रोगियों) तथा अहिंसा (मिठाई) पसंद न करने वाले व्यक्तियों को लाभ पहुँचायेगा। इसके ठीक विपरीत यदि जलेबी अपनी प्रकृति के अनुरूप मिठास से परिपूर्ण होगी तो वह सभी को आनंदित करने वाली तथा सुख देने वाली होगी, सिवाय उन लोगों के जो या तो मधुमेह के रोगी हैं अथवा मिठाई नहीं चाहने वाले हैं। इसी प्रकार विज्ञान के साथ अहिंसा होगी तो वे
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org