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४० : श्रमण, वर्ष ५९, अंक १/जनवरी-मार्च २००८
सकता है कि नवकार महामंत्र हमारे जीवन की समस्याओं, कठिनाइयों, चिन्ताओं, बाधाओं से पार पहुंचाने में सबसे बड़ा आत्म-सहायक है। आवश्यकता है तो श्रद्धा
और विश्वास की। सन्दर्भ : १. ते अरिहंता सिद्धा-ऽऽयरिओवज्झायसाहवो नेथा।
जे गुण मयभावाओ, गुणा व पुज्जा गुणत्थीणं।। २९४२।। अभिधानराजेन्द्र
कोश, भाग-४, पृ० १८३७. २. वही, पृ० १८१९ ३. परमे पदे तिष्ठन्ति इति परमेष्ठिनः। ४. शक्ति की साधना, युवाचार्य महाप्रज्ञ, आदर्श साहित्य संघ, १९८४ ५. णमोकारः एक अनुचिन्तन, डॉ० नेमिचन्द शास्त्री, भारतीय ज्ञानपीठ,
१९८९, पृ०- ३८ ६. इंदियविसयकसाए, परिसहवेयणाए उवसग्गे।
ए ए अरिणो हंता, अरिहंता तेण वुच्चंति।। अभिधानराजेन्द्र कोश, भाग
१, पृ०-७६७ ७. मर्यादया चरन्ति, इति आचार्याः। ८. नवकार सार थवणं, ३२।
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