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________________ महामंत्र नवकार की साधना और उसका प्रभाव : ३७ पाँचों मंत्र पदों के पैंतीस अक्षर तथा 'एसो पंच नमोक्कारी' चूलिका पद के तैंतीस अक्षर अर्थात् कुल अड़सठ अक्षरों का यह महामंत्र समस्त कार्यों को सिद्ध करने वाला कल्याणकारी अनादि सिद्ध मंत्र है। नवकारमंत्र की ध्वनियों में अचिन्त्य शक्ति है। इसका प्रत्येक अक्षर मंत्र है। शुद्ध और स्थिर चित्त से इसका ध्यान करने पर विपत्ति, भय और उपसर्ग से रक्षा होती है । यह कवच की भाँति रक्षा करता है । अशुभ ग्रहों की पीड़ा, भूत-प्रेत, हिंसा व जीवों का उपद्रव दूर करता है। आरोग्य, सुख एवं समृद्धि की वृद्धि करता है। नवकार महामंत्र के पाँचों पदों का हमारे शरीर के स्थान, चक्र, रंग, ग्रन्थि से सम्बन्ध को निम्न तालिका द्वारा स्पष्ट रूप से समझा जा सकता है - पद स्थान रंग चक्र ग्रह ग्रन्थि अरिहंत मस्तिष्क सफेद सहस्त्रार चन्द्र-शुक्र सिद्ध मुख आचार्य | कण्ठ उपाध्याय हृदय साधु नाभि ६ लाल आज्ञा सूर्य-मंगल पीला विशुद्धि गुरु Jain Education International केन्द्र हाइपोथेलेमस ज्ञानकेन्द्र पिच्यूटरी पीनियल दर्शनकेन्द्र थायराइड विशुद्धिकेन्द्र पैराथायराइड नीला | अनाह बुध थायमस काला मणिपुर | शनि-राहु-केतु एड्रीनल पेन्क्रियाज नवकार महामंत्र के जाप का प्रभाव अरिहंताण अरिहंत (अरि + हंत) शब्द का अर्थ है- अरि यानी शत्रु का हनन करने वाला। आठ प्रकार के कर्म जीवात्मा के शत्रु हैं। उन कर्म रूपी शत्रुओं का नाश करने वाला अरिहंत कहलाता है। सबसे बलिष्ठ (घाती कर्म) चार कर्म - मोहनीय, अन्तराय, ज्ञानावरण तथा दर्शनावरण का नाश करने के लिए साधक शुद्ध चारित्र, शुक्लध्यान तथा वीतराग भाव की सीढ़ियों पर चढ़कर अपने निर्मल तप एवं ध्यान की प्रचण्ड उज्ज्वल किरणों से इन्हें परास्त कर अरिहंत पद को प्राप्त करता है। तब क्षायिक चारित्र, केवलज्ञान, केवलदर्शन रूप दिव्य प्रकाश आत्मा में प्रकट होता है। आनन्दकेन्द्र तेजस केन्द्र For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525063
Book TitleSramana 2008 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2008
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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