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________________ प्रज्ञापना-सूत्र एक समीक्षात्मक अध्ययन : १९ ६ भेद तथा कर्मार्य-शिल्पार्य के विविध भेदों का निरूपण किया गया है । सूत्र १०८ से १३८ तक ज्ञानार्य-दर्शनार्य-चारित्रार्य के विविध भेद तथा विविध समीक्षायें दी गयी हैं। सूत्र १३९ से १४७ तक चतुर्विध देवों, दश प्रकार के भवनवासी, आठ प्रकार के वाणव्यन्तर, पांच प्रकार के ज्योतिष्क तथा वैमानिक देवों के दो तथा देवों के विविध रूपों की प्रज्ञापना की गयी है । जीव- अजीव के मौलिक भेदों की चर्चा करते हुए कहीं भी सामान्य पदों जैसे द्रव्य, तत्त्व या पदार्थ की चर्चा नहीं की गयी है । यह अपने आप में इस आगम की प्राचीनता का द्योतक है। स्थानपद दूसरे स्थानपद में पृथ्वीकाय, अप्काय, तेजस्काय, वायुकाय, वनस्पतिकाय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरेन्द्रिय, पंचेन्द्रिय, नैरयिक, तिर्यंच, भवनवासी, व्यन्तर, ज्योतिष्क, वैमानिक और सिद्ध जीवों के वासस्थान का वर्णन किया गया है । जीवों के निवास स्थान दो प्रकार के हैं- १. स्वस्थान, जहां जीव जन्म से लेकर मृत्युपर्यन्त रहता है और २. प्रासंगिक वासस्थान अथवा उपपात और समुद्घात के समय जीव का स्थान। (१४८-२११) अल्पबहुत्व पद तृतीय अल्प-बहुत्व पद है जिसमें दिशा, गति, इन्द्रिय, काय, योग, वेद, कषाय, लेश्या, सम्यक्त्व, ज्ञान, दर्शन, संयत, उपयोग, आहार, भाषक, परीत, पर्याप्त, सूक्ष्म, संज्ञी, भव, अस्तिकाय, चरम, जीव, क्षेत्र, बन्ध, पुद्गल और महादण्डक इन सत्ताइस द्वारों की अपेक्षा से जीवों के अल्प-बहुत्व का विचार किया गया है । (२१२-३३४) स्थितिपद चतुर्थ स्थितिपद में नैरयिक, भवनवासी, पृथ्वीकाय, अप्काय, तेजस्काय, वायुकाय, वनस्पतिकाय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरेन्द्रिय, पंचेन्द्रिय, मनुष्य, व्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक जीवों की स्थिति का वर्णन है ।(३३५-४३७) विशेषपद या पर्यायपद पंचम विशेषपद या पर्यायपद में चौवीसी दण्डकों के क्रम से प्रथम जीवों के नैरयिक आदि विभिन्न भेद-प्रभेदों को लेकर वैमानिक देवों तक के पर्यायों की विचारणा की गयी है। तत्पश्चात् अजीव-पर्याय के भेद-प्रभेद तथा अरूपी अजीवके भेद-प्रभेदों की अपेक्षा से पर्यायों की संख्या पर विचार किया गया है । (४३८-५५८) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525063
Book TitleSramana 2008 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey, Vijay Kumar
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2008
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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