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________________ भारतीय व्याकरण शास्त्र की परम्परा : ३७ पाणिनीय प्रक्रिया ग्रंथ रूपावतार२७ बौद्ध धर्मावलम्बी धर्मकीर्ति ने १०वीं शताब्दी में पाणिनीय सूत्रों तथा वार्तिकों को संयुक्त कर उन्हें प्रक्रिया ग्रंथ का रूप दिया। इनमें २,६६४ सूत्र संयोजित हैं। इसमें पूर्वार्द्ध में संज्ञावतार, संध्यावतार, अव्ययावतार, स्त्रीप्रत्ययावतार, कारकावतार, समासावतार तथा तद्धितावतार है। उतरार्द्ध में धातुप्रत्यय, पश्चिका में सार्वधातुक, आर्धधातुक, सनन्त, यङन्त, यङ्लुक, हेतुमण्णिच्, प्रत्ययमाला, सुब्धातुप्रकरण तथा लिङ्विभक्त्यिर्थ प्रकरण हैं। पाणिनीय सूत्रों पर आधारित प्रक्रिया शैली का यह प्रथम ग्रंथ है। प्रक्रियारत्न प्रक्रियारत्न के रचयिता का नाम, देश अथवा काल अज्ञात है, सायण की धातुवृत्ति२८ तथा पुरुषकार२९ के उल्लेख के आधार पर इस ग्रंथ का अस्तित्व माना जाता है। वोपदेव३० ने धनेश्वरकृत प्रक्रियारत्नमणि का उल्लेख किया हैं। प्राकृत व्याकरण प्राकृत भाषा के सभी व्याकरण संस्कृत में ही लिखे गये हैं। भरतमुनि के 'नाट्यशास्त्र' में विभिन्न भाषाओं का निरूपण करते हुए प्राकृत व्याकरण के सिद्धान्त बतलाए गये हैं और ३२वें अध्याय में उदाहरण प्रस्तुत किये गये हैं।३१ पर ये . सिद्धान्त बहत ही संक्षिप्त और अस्फूट हैं इसके बाद प्राकृत के कई व्याकरण मिलते हैं जो पूर्णरूपेण प्राकृत के हैं या इनके अंश प्राकृत के विषय में हैं। प्राकृत लक्षण प्राकृत लक्षण को पाणिनि रचित व्याकरण भी माना जाता है। डॉ. रिचर्ड पिशल ने भी अपने 'प्राकृत भाषाओं का व्याकरण' में इस ओर संकेत किया है, पर यह ग्रंथ न तो आजतक उपलब्ध ही हआ है और न इसके होने का ही कोई प्रमाण है। प्राप्त प्राकृत लक्षण चण्ड रचित है। यह संक्षिप्त रचना है। इसमें मात्र ९९ या १०३ सूत्र हैं। इसमें जिस सामान्य प्राकृत का जो अनुशासन किया गया है वह अशोक की धर्मलिपियों जैसी प्रतीत होती है। इसका रचनाकाल द्वितीयतृतीय शती हो सकती है। प्राकृत प्रकाश चण्ड के पश्चात् प्राकृत वैयाकरणों में वररुचि का नाम आता है। इनका गोत्र नाम कात्यायन था। प्राकृत प्रकाश में कुल ५०९ सूत्र हैं। तुलनात्मक दृष्टि से Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525057
Book TitleSramana 2006 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size8 MB
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