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________________ ३८ : श्रमण, वर्ष ५७, अंक १/जनवरी-मार्च २००६ विचार करने पर ऐसा प्रतीत होता है कि वररुचि ने चण्ड का अनुसरण किया है। चण्ड द्वारा निरूपित विषयों का विस्तार अवश्य इस ग्रंथ में पाया जाता है। इस बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि भाषा विज्ञान की दृष्टि से वररुचि का 'प्राकृत प्रकाश' बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। संस्कृत भाषा की ध्वनियों में किस प्रकार के ध्वनि परिवर्तन होने से प्राकृत भाषा के शब्द रूप गठित होते हैं, इस विषय पर पर्याप्त प्रकाश डाला गया है। उपयोगिता की दृष्टि से यह ग्रन्थ प्राकृत अध्येताओं के लिए ग्राह्य है। प्राकृत सिद्धहेमशब्दानुशासन इस व्याकरण की चर्चा ऊपर भी की गयी है। 'हेमशब्दानुशासन' का आठवां अध्याय ही प्राकृत से सम्बन्धित है। परन्तु प्राकृत के सभी व्याकरणों में यह सबसे विस्तृत और प्रचलित है। सूत्रों के अतिरिक्त वृत्ति भी स्वयं हेमचन्द्र ने ही लिखी है। इस वृत्ति में सूत्रगत लक्षणों को बड़ी विशदता से उदाहरण देकर समझाया गया है। इसमें चूलिका और अपभ्रंश का अनुशासन हेमचन्द्र का अपना है और प्राकृत के लिए वे 'प्राकृत लक्षण' और 'प्राकृत प्रकाश से आगे की कड़ी हैं। उन्होंने व्याकरण की परम्परा को अपनाकर भी अनेक नये अनुशासन उपस्थित किये हैं। त्रिविक्रम का प्राकृत शब्दानुशासन त्रिविक्रम देव के इस व्याकरण में तीन अध्याय हैं और प्रत्येक अध्याय में ४-४ पाद हैं। इसमें कुल १,०३६ सूत्र हैं। इस व्याकरण में विषयक्रम हेमचन्द्र जैसा ही है। इस व्याकरण में देशी शब्दों का वर्गीकरण कर हेम की अपेक्षा एक नयी दिशा की सूचना दी गयी है। षड्भाषा चन्द्रिका ___ लक्ष्मीधर ने त्रिविक्रम देव के सूत्रों का प्रकरणानुसारी संकलन कर अपनी नयी वृत्ति लिखी है। इस संकलन का नाम ही 'षड्भाषा चन्द्रिका' है। इस संकलन में 'सिद्धान्त कौमुदी' का क्रम रख गया है। इसकी तुलना भट्टोजी दीक्षित की 'सिद्धान्त कौमुदी' से की जाती है। प्राकृत रूपावतार त्रिविक्रम देव के सूत्रों को ही 'लघुसिद्धान्त कौमुदी' के ढंग पर संकलित कर सिंहराज ने १५वीं शताब्दी में 'प्राकृत रूपावतार' नामक व्याकरण ग्रन्थ लिखा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525057
Book TitleSramana 2006 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreeprakash Pandey
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2006
Total Pages170
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size8 MB
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