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________________ गाँधी एवं शाकाहार ईमानदारी से पालन करे तो स्वस्थ्य एवं सुखमय जीवन व्यतीत कर सकता है। इन नियमों में से कुछ इस प्रकार हैं। १. जीभ के स्वाद के लिये भोजन न करें । २. भोजन की मात्रा और उसका समय बांध लें। ३. नशीली चीजों का सेवन न करें। ४. अपनी संगति, अपने पठनपाठन, अपने मनोरंजन और अपने भोजन को नियम में बांधें । १४ सन्दर्भ : १. सम्पूर्ण गाँधी वाङ्मय, खण्ड १, अहमदाबाद १९५८ ई० 'आहार' पृष्ठ (मैन्चेस्टर के अन्नाहारी मण्डल का मुखपत्र ) । २. वहीं, पृष्ठ ३०, वेजिटेरियन मैसेन्जर, ७-२-१८९१ । वही, ३२, वेजिटेरियन मैसेन्जर २१-२-१८९१ | ३. पृष्ठ ४. वही, २८-२-१८९१। ४५, वेजिटेरियन मैसेन्जर पृष्ठ ५. वही, पृष्ठ २९४, वेजिटेरियन मैसेन्जर, १-६-१८९१ | ६. वही, पृष्ठ ४५, वेजिटेरियन मैसेन्जर, २१-१२-१८९४ | ७. वही, पृष्ठ - २९६ एवं नेटाल मर्करी ( डर्बन का दैनिक समाचार पत्र ) के सम्पादक को लिखा गाँधीजी का ३ फरवरी, १८९६ का पत्र जो 'आहार का सिद्धान्त' शीर्षक से लिख गया। - - ८. वही । ९. श्री गोपीनाथ अग्रवाल, जैन गजट, वर्ष १९९३, पृष्ठ ६ | Jain Education International १८८४ - १८८६, नवजीवन ट्रस्ट २४-३५ एवं वेजिटेरियन मैसेन्जर - १०. सम्पूर्ण गाँधी वाङ्मय, खण्ड १, पृष्ठ ११. कल्याण कुमार शशि जैन गजट, वर्ष > १९८३, पृष्ठ ६। १२. आरोग्य की कुंजी, सम्पूर्ण गाँधी वाङ्मय, खण्ड १३. वही, पृष्ठ २१ १४. आत्मसंयम बनाम विषयासक्ति, यंग इंडिया २४-३-१९२७, पृष्ठ - १९९ २००१ : ७७ - ९७, अंक १२, २८ जनवरी, २९६। ८८, अंक For Private & Personal Use Only १५-२२ फरवरी, ७७, पृष्ठ - ३२। www.jainelibrary.org
SR No.525051
Book TitleSramana 2003 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2003
Total Pages156
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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