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________________ २. पिशेल, प्राकृत व्याकरण, नियम १२. ३. पढमं बारह मत्ता बीए अट्ठारहेहि संजुत्ता। जह पढमं तह तीयं दहपंच विहुसिआ गाहा।। प्राकृत पैंगलं १.५४ ४. ता तुंगो मेरुगिरी मयरहरो ताव होई दत्तारो।। ता विसमा कज्जगई, जाव ण धीरा पवज्जति।। चउपत्रमहापुरिसचरितं २९/ ३ मिलाइए गाथा १०३ धीरवज्जा। ५. गहिऊण चूय-मंजरि कीरो परिभमइ पत्त-लाहत्थो। ओसरसु सिसिर-णरवइ पुहई लद्धा वसंतेण।। लीलावई ७४/१, मिलाइये गाथा ६३५ वसंतवज्जा। ६. कुवलयमालाकहा, पृ० ३, मिलाइये गाथा ७४५ वडवानलवज्जा। कुवलयमालाकहा, पृ० १२, मिलाइए गाथा १२० दिव्ववज्जा। ७. कोसाम्बीविप्रकथा, पृ० ५३४, मिलाइए गाथा १४४ दरिद्दवज्जा। ८. काव्यालंकार, सूत्र १.९ ९. काव्यालंकार, सूत्र १.४ १०. नाट्यशास्त्र २७.९६ ११. काव्यालंकार, १.१ १२. काव्यालंकार ५.६६ १३. काव्यालंकार ३.५४ १४. काव्यादर्श १.४१ - ४४ १५. काव्यालंकार १.४ की टीका १६. काव्यालंकार १.१८ १७. वक्रोक्तिजीवितं १.६, २३, २४, ५३ १८. काव्यप्रकाश १.२.४ १९. स्तुतिकुसुमांजलि ५.३३ ।। २०. सौन्दर्यमलंकार: - वामन, २१. मम्मट, काव्यप्रकाश ८.६७ काव्यालंकार सूत्रवृत्ति १.२ २२. भामह, काव्यालंकार १.१३ २३. अभिज्ञानशाकुन्तलम् १.२० २४. कुन्तक, वक्रोक्तिजीवितं १.१० २५. आनन्दवर्धन, ध्वन्यालोक, २ २६. हिन्दी साहित्यकोष, पृ० २६२ २७. भरत, नाट्यशास्त्र, अ० ०६ २८. अग्निपुराण, ३३६/३३ २९. गाहासत्तसई ५/९३ ३०. क्षेमेन्द्र, औचित्यविचारचर्चा, कारिका १९ और उसकी टीका ३१. पक्खणिलेण पहुणो विरमउ मुच्छ त्ति पासपडिएण। गिद्धंतकड्ढणं दूसहं पि साहिज्जइ भडेण।। १७७ सुहडवज्जा। ३२. निहणंति धणं धरणीयलम्मि इय जाणिऊण किविणजणा। पायाले गंतव्वं तद्गच्छत्वग्रस्थानमपि।। ५८० किविणवजा। ३३. वरिससयं णरआऊ..........बालभावो य॥ ६६६ जरावज्जा।
SR No.525050
Book TitleSramana 2003 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2003
Total Pages176
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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