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________________ १०७ हैं, जिनमें महावीर को ध्यानस्थ और सिंह लांछन सहित दिखाया गया है। उल्लेखनीय है कि एलोरा की पार्श्वनाथ और बाहुबली की मूर्तियों में उनकी गहन साधना और उपसर्गों को दर्शाने के लिए उन्हें सर्वदा कायोत्सर्ग मुद्रा में दिखाया गया है। गुफा संख्या ३० के गर्भगृह में मूलनायक महावीर (९वीं शती ई०) की ध्यानस्थ मूर्ति है जिसमें सिंहासन के मध्य में सिंह लांछन और प्रातिहार्यों में त्रिछत्र, देवदुन्दुभि, सिंहासन, भामण्डल तथा चामरधरों का उत्कीर्णन हुआ है। इनमें आकाशगामी विद्याधर युगलों तथा नीचे पीठिका पर उपासकों की युगल आकृतियां भी हैं। ___गुफा संख्या ३० के गूढ़मण्डप की पश्चिमी भित्ति में भी ध्यानस्थ महावीर की मूर्ति है। सिंह लांछन के साथ ही दो अन्य ध्यानस्थ जिन आकृतियां भी उत्कीर्ण हैं। गुफा संख्या ३० की पश्चिमीभित्ति पर प्रवेशद्वार के समीप महावीर की ध्यानस्थ एवं सिंह लांछन से युक्त मूर्ति द्रष्टव्य है। __ . गुफा संख्या ३१ के छोटे मन्दिरों के समूह में २४ तीर्थंकरों की मूर्तियां बनीं हैं, जिसमें महावीर का भी अंकन है। गुफा संख्या ३२ के गर्भगृह में महावीर की मनोज्ञ ध्यानस्थ मूर्ति प्रतिष्ठित है, इसके सिंहासन के छोरों पर दो गज आकृतियां उत्कीर्ण हैं। गुफा संख्या ३२ के पश्चिमी मण्डप में महावीर की एक ध्यानस्थ मूर्ति देखी जा सकती है, जिसमें पद्मपीठ पर ध्यानस्थ महावीर के सिंहासन के मध्य में सिंह लांछन की आकृति स्पष्ट है। महावीर के साथ अन्य प्रातिहार्यों में चामरधर, त्रिछत्र एवं अशोक की पत्तियां तथा देवदुन्दुभि का अंकन है। इस मूर्ति में महावीर के दक्षिण एवं वाम पार्थों में द्विभुज यक्ष के रूप में क्रमश: गजवाहन वाले कुबेर यक्ष और सिंह वाहन तथा गोद में शिशु आकृति से युक्त अंबिका यक्षी की आकृतियां भी हैं। यक्ष-यक्षी की आकृतियां मूल नायक के आध्यात्मिक स्वरूप के स्थान पर भौतिक जगत् के लालित्य तथा सौन्दर्य एवं अलंकरणों से युक्त हैं। गुफा संख्या ३२ के ही दक्षिण के मण्डप के मध्य की ध्यानस्थ महावीर मूर्ति में भी सिंह लांछन तथा करण्ड मुकुट से शोभित और गजारूढ़ तथा हाथों में फल तथा धन के थैले से सुशोभित कुबेर यक्ष एवं आम्रलुम्बि एवं शिशु को धारण करने वाली द्विभुजा सिंहवाहना अंबिका की आकृतियां उत्कीर्ण हैं। - इसी गुफा की दक्षिणी भित्ति की एक अन्य ध्यानस्थ मूर्ति में भी उपर्युक्त विशेषताओं तथा गजवाहन वाले कुबेर और सिंह वाहन वाली अंबिका की आकृतियां उत्कीर्ण हैं। समान लक्षणों वाली तथा कुबेर और अंबिका की आकृतियों से वेष्ठित महावीर की दो अन्य मूर्तियां भी इस गुफा में हैं। इस प्रकार महावीर मूर्तियों की दृष्टि
SR No.525050
Book TitleSramana 2003 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2003
Total Pages176
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size7 MB
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