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तो यहाँ कैंसर जैसे अनेक रोग पैदा हो जायेंगे। आज के दृषित वातावरण से वायुमण्डल में १६ प्रतिशत कार्बनडाईआक्साइड की मात्रा बढ़ गई है। यदि इसे रोका न गया तो भविष्य में इससे बहुत बड़ा खतरा पैदा हो सकता है।
__पर्यावरण के प्रदूषण में आज धूम्र विसर्जित करने वाले वाहनों का प्रयोग भी एक प्रमुख कारण है। इसे दूर करने के लिए फ्लाई ओवर बने और आस-पास की व्यवस्था में परिवर्तन हो। यद्यपि वैज्ञानिक प्रगति के इस युग में यह बात हास्यापद लगेगी कि हम पुन: बैलगाड़ी की दशा में लौट जायें, किन्तु यदि वातावरण को प्रदूषण से मुक्त रखना है तो हमें अपने नगरों और सड़कों को इस प्रदूषण से मुक्त रखने का प्रयास करना होगा।
जैन मुनि के लिए आज भी पद यात्रा करने, कोई भी वाहन प्रयोग न करने का जो नियम है वह चाहे हास्यास्पद लगे, किन्तु यदि पर्यावरण को प्रदूषण से बचाना है तो मानव स्वास्थ्य की दृष्टि से वह कितना उपयोगी है इसे झुठलाया नहीं जा सकता। आज की उपभोक्ता संस्कृति में हम एक ओर एक फलांग भी जाना हो तो वाहन की अपेक्षा रखते हैं तो दूसरी ओर डॉक्टरों के निर्देश पर प्रतिदिन पांच-सात कि०मी० टहलते हैं। यह कैसी आत्मा-प्रवंचना है, एक ओर समय की बचत के नाम पर वाहनों का प्रयोग करना तो दूसरी ओर प्रात:कालीन एवं सांयकालीन भ्रमणों में अपने समय का अपव्यय करना यदि मनुष्य मध्यम आकार के शहरों तक अपने दैनिक कार्यों में यन्त्रचालित वाहनों का प्रयोग न करे तो उससे दोहरा लाभ हो। एक ओर ईंधन एवं तत्सम्बन्धी खर्च बचे तो दूसरी ओर पर्यावरण प्रदूषण से बचे, साथ ही उसका स्वास्थ्य भी अनुकूल रहेगा) प्रकृति की ओर लौटने की बात आज चाहे परम्परावादी लगती हो किन्तु एक दिन ऐसा आयेगा जब यह मानव अस्तित्व की एक अनिवार्यता होगी। आज विकसित देशों में यह प्रवृत्ति प्रारम्भ हो गई है। ___ वायुप्रदूषण की समस्या को अविलम्ब दूर किया जाना आवश्यक है। उसे उसके उद्गम स्थान पर ही नियन्त्रित कर देना चाहिए। गैस का बहाव प्रारम्भ में ही नियन्त्रित कर लिया जाये तो अधिक अच्छा होगा। निर्धूम ईधन का उपयोग हो, वाहनों के धूएँ की संरचना बदली जाय, विद्युत इन्जनों का प्रयोग हो, चिमनियों की ऊँचाई अधिक हो, कारखाने शहरी क्षेत्रों से बाहर हों, कुटीर उद्योग गाँवों में भी लगायें जायें ताकि शहरों पर उनका दबाव कम हो, वनों की कटाई रोकी जाय और वनीकरण की प्रवृत्ति को विकसित किया जाये, अपशिष्ट पदार्थों के निकलने की सीवरेज व्यवस्था अच्छी हो, जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण हो और पर्यावरण चेतना को जागृत करने के लिए बच्चों के पाठ्यक्रम में इस प्रकार के पाठ सम्मिलित किये जायें कि वे उसका महत्व समझ सकें। साथ ही अग्निकायिक जीवों के घात से भी बचा जाये। उनके प्रति अहिंसा का व्यवहार हमारे वायुमण्डल के प्रदूषण को रोक सकता है ।
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