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________________ ४८ : श्रमण / जुलाई-दिसम्बर २००२ छन्दस्तव १३ अञ्चलगच्छीय धर्मनन्दनगणि द्वारा विरचित इस ग्रन्थ पर स्वोपज्ञवृत्ति भी मिलती है। यह ग्रन्थ अभी तक अप्रकाशित है। इसकी पाण्डुलिपि छाणी के ग्रन्थ भण्डार में उपलब्ध है। पिङ्गलशास्त्र २४ (नागराज) पिङ्गलशास्त्र की रचना नागराज ने की है। इसकी भाषा प्राकृत है। इसका रचनाकाल अज्ञात हैं। इस ग्रन्थ की पूर्ण हस्तलिखित प्रति 'दिगम्बर जैन मन्दिर अभिनन्दन स्वामी, बूंदी' में उपलब्ध है। प्राकृतछन्द ५ प्राकृतछन्द नामक ग्रन्थ के ग्रन्थकार का नाम अज्ञात है। इस छन्द ग्रन्थ की भाषा प्राकृत है और रचनाकाल अज्ञात है। इस ग्रन्थ की पूर्ण हस्तलिखित प्रति 'दिगम्बर जैन मन्दिर, अजमेर' में उपलब्ध है। प्राकृतपिङ्गलशास्त्र -२६ इस छन्द ग्रन्थ के ग्रन्थकार का नाम अनुपलब्ध है। इस ग्रन्थ की भाषा प्राकृत है। छन्दशास्त्र २७ (वि० सं० छठी शताब्दी) इस कृति के कर्ता जैनेन्द्रव्याकरण के रचयिता दिगम्बराचार्य पूज्यपाद हैं। जयकीर्ति ने छन्दोऽनुशासन में जिस पूज्यपाद की कृति का उल्लेख किया है, यही पूज्यपाद हैं। वे (स) हिन्दी कृतियाँ छन्दरत्नावली २८ छन्दरत्नावली के ग्रन्थकार का नाम हरिरामदासजी निरंजन है। राजस्थान (ग्रन्थ-सूची) भाग ५ के अनुसार इस ग्रन्थ की भाषा हिन्दी है और इस ग्रन्थ की रचना १७३८ में हुई है। यह ग्रन्थ भ० दि० जैन मन्दिर, अजमेर में पूर्ण रूप से उपलब्ध है । ग्रन्थ तथा ग्रन्थकार का वर्णन निम्न प्रकार है ग्रन्थ छन्द रत्नावली सारथ याकौ नाम । भूषन सरतते ते भरयो कहे दास हरिराम ।।१०।। संवत सर नव मुनि शशि नभ नवमी गुस्मान । डीडवान दृढ़ कौ पतिहि ग्रन्थ जन्म भलै जानि । । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525047
Book TitleSramana 2002 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2002
Total Pages182
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size8 MB
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