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________________ जैन संस्थाएँ एवं समाज में उनका योगदान डॉ० शैलबाला शर्मा जैन-समुदाय अत्यधिक छोटा समुदाय है। सम्पूर्ण भारत में जैनों की जनसंख्या लगभग ४० लाख है। यद्यपि ये अल्पसंख्यक हैं तथापि सम्पूर्ण भारत में इनकी अनेकों संस्थाएँ स्थापित हैं जो धार्मिक, सामाजिक, शैक्षणिक व अन्य धर्मार्थ कार्यों को ध्यान में रखकर स्थापित की गयी हैं। मूलत: ये संस्थाएँ दो प्रकार की हैं प्रथम वे जो दान-धर्म से सम्बन्धित हैं तथा दूसरी वे जो जैन जाति के उत्थान एवं उद्धार हेत स्थापित की गयी हैं। जैन-समुदाय में धनाढ्य लोगों की अधिकता होने के कारण ये सम्पूर्ण भारत में काफी संख्या में संस्था व संगठन के संचालन में समर्थ हैं। संस्था के संचालन हेतु धन की व्यवस्था सुगमतापूर्वक हो जाती है। जो संस्थाएँ बिना किसी भेद-भाव के मानव जाति की सेवा एवं कल्याण में लगी हैं उनका मूल उद्देश्य अन्य जातियों को अपने धर्म के महत्त्व को समझाना है। जैनधर्म के अनुयायियों का विस्तार करना भी इस संस्थाओं का उद्देश्य है। जैन-समदाय के लोग छ: प्रकार के कर्त्तव्यों को महत्त्व देते हैं जो उन्होंने दूसरों के उद्धार हेतु बनाये हैं। इन कर्त्तव्यों को ये चार भागों में विभाजित करते हैं। ये चार प्रकार के दान क्रमश: भोजन, रक्षा, औषधि एवं ज्ञान हैं। इन्हें क्रमश: आहारदान, अभयदान, औषधिदान व शास्त्रदान के नाम से जाना जाता है। सामाजिक संस्थाएँ . सामाजिक संस्थाएँ सम्पूर्ण मानव जाति के हितों को ध्यान में रखकर स्थापित की गयी हैं। इनमें सबसे महत्त्वपूर्ण है- धर्मशालाएँ एवं विश्रामगृह। भारत के प्रत्येक शहर एवं धार्मिक स्थलों में जैन-समुदाय द्वारा धर्मशालाएँ एवं विश्रामगृहों का निर्माण किया गया है। ये सम्पूर्ण सुख-सुविधाओं से युक्त हैं तथा इनको मुफ्त या अत्यधिक कम दरों पर यात्रियों को उपलब्ध कराया जाता है। यद्यपि इन धर्मशालाओं और विश्रामगृहों की संख्या कितनी है यह ज्ञात नहीं है, परन्तु अनुमानत: सम्पूर्ण भारत में इनकी संख्या हजारों में है। इनकी व्यवस्था एवं देखरेख में होने वाला व्यय जैन * शोध अधिकारी, त्रिलोक उच्चस्तरीय अध्ययन एवं अनुसन्धान संस्थान, जवाहर रोड, कोटा- ३२४००५ (राजस्थान). Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525047
Book TitleSramana 2002 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2002
Total Pages182
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size8 MB
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