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१५४ : श्रमण / जनवरी - जून २००२ संयुक्तांक
आर०एस० उपाध्याय, वनस्पतिविज्ञान विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, डॉ० श्रीमती एन०क्यू० पंकज, डॉ० वशिष्ठनारायण सिन्हा, डॉ० ए०पी० सिंह, श्री एस०एम० जैन, संस्थान में अध्ययनार्थ विराजित साधु-साध्वी तथा बड़ी संख्या में शोधार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय एवं आभार प्रदर्शन विद्यापीठ के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ० अशोककुमार सिंह ने किया।
विख्यात तान्त्रिक श्री चन्द्रस्वामी पार्श्वनाथ विद्यापीठ में
सुप्रसिद्ध तान्त्रिक जगदाचार्य श्री चन्द्रस्वामी दिनांक २५ मई २००२ को पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में भाग लेने के लिए दोपहर १२.०० बजे पार्श्वनाथ विद्यापीठ में पधारे जहाँ विद्यापीठ के पदाधिकारियों एवं बड़ी संख्या में उपस्थित आगन्तुक विद्वानों ने उनका स्वागत किया। कार्यक्रम का प्रारम्भ पूज्य मुनिश्री मणिभद्र जी म०सा० के मङ्गलाचरण से हुआ। इसके पश्चात् श्री चन्द्रस्वामी ने भगवान् महावीर के चित्र पर माल्यार्पण किया। पार्श्वनाथ विद्यापीठ के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ० अशोककुमार सिंह एवं बड़ौत से पधारे श्री अमितराय जैन ने आगन्तुक अतिथियों का परिचय दिया । विद्यापीठ के निदेशक प्रो० माहेश्वरी प्रसादजी ने अतिथियों का स्वागत भाषण, भारतीय इतिहास
सन् १९३७ के महत्त्व, विद्यापीठ की स्थापना तथा विकासयात्रा का संक्षिप्त किन्तु अत्यन्त सारगर्भित परिचय प्रस्तुत किया। प्रो० कुमार पंकज, हिन्दी-विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, श्री आर०के० जैन, मुगलसराय, श्री राकेश जैन, श्री एस०एम० जैन तथा डॉ० विजयकुमार ने चन्द्रस्वामी को माल्यार्पण किया।
आपका हार्दिक संवत करता है।
पार्श्वनाथ विद्यापीठ में श्री चन्द्रस्वामी के साथ पूज्य मणिभद्र जी 'सरल' एवं पदम मुनि जी म०सा०
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