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विद्यापीठ के प्रांगण में : १५५
अपने उद्बोधन में श्री चन्द्रस्वामी ने कहा कि काशी भारतीय संस्कृति की पोषक है। भारतीय संस्कृति को समझने के लिए भगवान् कृष्ण, भगवान् महावीर और बुद्ध को समझना जरूरी है। आपने 'ओम् शक्ति ओम' के उच्चारण के साथ अपना उद्बोधन प्रारम्भ किया। आगे आपने कहा कि भारतीय संस्कृति त्रिवेणी की धारा के समान है। पार्श्वनाथ विद्यापीठ के सम्बन्ध में उन्होंने कहा कि यह संस्था पिछले लगभग ६० वर्षों से पूरी निष्ठा व सृजनात्मकता के साथ अपना कार्य सम्पादित कर रही है। आगे उन्होंने कहा कि वे केन्द्र सरकार से पार्श्वनाथ विद्यापीठ के लिए नये फण्ड की व्यवस्था करायेंगे और इसे मान्य विश्वविद्यालय का दर्जा दिलवाने के लिए हरसम्भव प्रयास करेंगे। इस अवसर पर उन्होंने पार्श्वनाथ विद्यापीठ द्वारा प्रकाशित नूतन शोधग्रन्थ हिन्दी गद्य के विकास में जैन मनीषी सदासुखदासजी का योगदान (लेखिका- डॉ० मुन्नी जैन) का विमोचन भी किया। इस समारोह में संस्थान में विराजित सभी साधु-साध्वी, संस्थान के शोधच्छात्र तथा बड़ी संख्या में स्थानीय विद्वान उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन विद्यापीठ के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ० अशोककुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर सभी आगन्तुक अतिथियों के अल्पाहार की व्यवस्था श्री आर०के० जैन की ओर से की गयी थी।
दिनांक २६ मई रविवार को श्री चन्द्रस्वामी संस्थान में पुनः पधारे। यहाँ उन्होंने संस्थान के समृद्ध पुस्तकालय एवं प्रकाशनों का अवलोकन किया। पार्श्वनाथ विद्यापीठ के विकास एवं इसे मान्य विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाने की अपनी प्रतिबद्धता दुहराई। पार्श्वनाथ विद्यापीठ में १४ ठाणा का भव्य चातुर्मास प्रवेश
अत्यन्त हर्ष का विषय है कि पार्श्वनाथ विद्यापीठ के प्राङ्गण में श्रमणसंघीय सलाहकार, तपस्वीरत्न श्री सुमति प्रकाश जी म०सा० एवं उपाध्यायप्रवर श्री विशाल मुनि जी म०सा० के सुशिष्य, मानवमिलन के प्रेरक पूज्य श्री मणिभद्र जी म०सा० 'सरल' एवं श्री पदममुनिजी म.सा० ठाणा २; पार्श्वचन्द्रगच्छीय शासनप्रभाविका आर्या खान्तिश्रीजी की शिष्या प्रवर्तिनी ॐकार श्रीजी एवं साध्वी भव्यानन्द जी म.सा० ठाणा-१० तथा श्रमणसंघीय प्रथम युवाचार्य श्री मिश्रीमल जी महाराज 'मधुकर' की सुशिष्यायें कानकुँवरजी म.सा० तथा चम्पाकुँवर जी मसा० की शिष्यायें महासती चेतनप्रभा जी एवं महासती डॉ० चन्द्रप्रभा जी म.सा० ठाणा-२ का दि० २१ जून २००२ को प्रातः ८ बजे पार्श्वनाथ विद्यापीठ के प्रांगण में मंगल प्रवेश हुआ। प्रातः ९ बजे मंगल शोभा यात्रा प्रवचन सभा में परिवर्तित हुई। कार्यक्रम का प्रारम्भ पूज्य श्री मणिभद्र जी म०सा० के मंगलाचरण से हुआ। तदुपरान्त सरस्वती वन्दना प्रस्तुत की गयी। कलकत्ता से पधारी प्रेक्षा कोठारी (पिकी) एवं मुमुक्षु वनिता एस० डागा ने स्वागत गीत प्रस्तुत किया। पार्श्वनाथ विद्यापीठ के मन्त्री प्रो० सागरमल जी जैन ने स्वागत भाषण के दरम्यान संस्थान का परिचय देते हए यहाँ की शैक्षणिक एवं शोध सम्बन्धी कार्यों की विस्तृत जानकारी दी। अखिल भारतीय श्वेताम्बर स्था० जैन युवा कान्फ्रेन्स
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