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________________ विद्यापीठ के प्रांगण में : १५३ सिंह उपस्थित थे। इस संगोष्ठी में प्रो० आर० एन० सिंह, पूर्व निदेशक, प्रौद्योगिकी संस्थान, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, प्रो० एस०एन० उपाध्याय, प्रौद्योगिकी संस्थान, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, प्रो० बी०डी० सिंह, बायोटेक्नोलॉजी विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, प्रो० पी०सी० उपाध्याय, कुलसचिव, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय तथा डॉ० ए०के० मिश्र, प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति और पुरातत्त्व विभाग, डॉ० राममनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय फैजाबाद मुख्य वक्ता के रूप में आमन्त्रित किये गये थे। प्रो० पी०सी० उपाध्याय ने संगोष्ठी की अध्यक्षता की। संगोष्ठी का प्रारम्भ मङ्गलपाठ से हुआ। पार्श्वनाथ विद्यापीठ के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ० श्रीप्रकाश जी पाण्डेय ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी दिवस के महत्त्व पर प्रकाश डाला। विद्यापीठ के नवनियुक्त निदेशक प्रो० माहेश्वरी प्रसादजी ने आगन्तुक अतिथियों का स्वागत करते हुए विद्यापीठ के संक्षिप्त इतिहास की चर्चा की और प्राचीन भारत में हुई प्रौद्योगिक उपलब्धियों पर बड़े ही प्रभावशाली ढंग से प्रकाश डाला। प्रो० आर० एन० सिंह ने संगोष्ठी में विचार व्यक्त करते हुए कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी एक दूसरे के पूरक हैं। एक के बिना दूसरे का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा। आगे आपने कहा कि विदेशी सभ्यता और संस्कृति की चकाचौंध में हम विज्ञान, प्रौद्योगिकी और संस्कृति की अपनी श्रेष्ठ-परम्परा से विमुख होते जा रहे हैं। प्रो० एस०एन० उपाध्याय ने कहा कि आज विज्ञान और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों के बीच अहम के कारण कुछ विरोधाभास है। उन्होंने यह भी कहा कि विज्ञान सार्वभौमिक और शाश्वत है जबकि प्रौद्योगिकी स्थान और समय सापेक्ष तथा परिवर्तनशील है। उन्होंने विज्ञान और प्रौद्योगिकी को जनता के द्वार तक ले जाने का आह्वान करते हए कहा कि ऐसा करने से ही देश का सही अर्थों में विकास सम्भव है। जनसामान्य को रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा और स्वास्थ्य-सम्बन्धी सुविधाओं को उपलब्ध कराने के लिए प्रौद्योगिकी का विकास अपरिहार्य है। प्रो० बी०डी० सिंह ने जैव प्रौद्योगिकी तथा इससे मानव को होने वाले लाभ तथा इसके विकास की सम्भावनाओं पर प्रकाश डाला। डॉ० अशोक कुमार मिश्र ने बतलाया कि प्राचीन भारत में प्रौद्योगिकी का विकास 'ट्रायल एण्ड एरर' के आधार पर हुआ इसी कारण इसकी प्रगति धीमी रही। मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए प्रो० रामअचल सिंह ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में देश को विकास के शिखर पर ले जाने के लिए राजनीतिज्ञों और अफसरशाही को प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों के साथ परस्पर सामन्जस्य और सहयोग की भावना को बढ़ाना बहुत जरूरी है। देश की समृद्धि और विकास तभी सम्भव है जब कि हम स्वयं अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप प्रौद्योगिकी का विकास करें। संगोष्ठी में कला सङ्काय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के पूर्व प्रमुख प्रो० पी० सिंह, संस्कृत-विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो० के०पी० सिंह, प्रो० सुदर्शनलाल जैन, डॉ० Jain Education International nal For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525046
Book TitleSramana 2002 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year2002
Total Pages188
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size9 MB
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