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इस विवरण से यह स्पष्ट है कि गंगनरेश मारसिंह और उसके सेनापति चामुण्डराय तथा राष्ट्रकूट नरेश कृष्ण तथा उसका उत्तराधिकारी खोट्टिग, कर्क और इन्द्र के सम्बन्ध बड़े मधुर थे। शिलालेख नं० ३८ के अनुसार मारसिंह एक प्रतापी जैन नरेश था । अजितसेन भट्टारक के समीप उसने ९७४ ई० में सल्लेखना विधिपूर्वक प्राण - विसर्जन किया।
ऐसे भी प्रमाण उपलब्ध हैं जिनके आधार पर कहा जा सकता है कि अन्तिम राष्ट्रकूट नरेश इन्द्र 'चतुर्थ' गोम्मटेश्वर मूर्ति की स्थापना के समय जीवित था। उसने अथवा उसके पूर्ववर्ती राजाओं ने श्रवणबेलगोल में कोई स्मारक अथवा मन्दिर का निर्माण नहीं कराया। पर चन्द्रगिरि, विन्ध्यगिरि तथा श्रवणबेलगोल नगर की परिधि में राष्ट्रकूटवंश से सम्बद्ध लगभग दस शिलालेख मिलते हैं। इसके अतिरिक्त राष्ट्रकूटों के अन्तिम राजाओं का सम्बन्ध गंगनरेश मारसिंह और उसके सेनापति चामुण्डराय से रहा है।
श्रवणबेलगोल के विकास में राष्ट्रकूट नरेशों का प्रत्यक्ष हाथ भले ही न रहा हो पर अप्रत्यक्षरूप से वे इसके साथ घनिष्ठतापूर्वक सम्बद्ध रहे हैं। उनका तीर्थ- प्रेम इससे जुड़ा हुआ है।
आलुक्य नरेश और जैनधर्म
दक्षिणापथ की मध्यकालीन राजशक्तियों में चालुक्य राजशक्ति का प्रमुख स्थान है। पाण्ड्य, चेर, चोल, पल्लव, कदम्ब, गंग, राष्ट्रकूट आदि साम्राज्यों के होते हुए भी वह कुछ समय के लिये एक सर्वाधिक शक्तिशाली राजवंश के रूप में स्थापित हुआ। ईस्वी की प्रारम्भिक शताब्दियों में जिस राजनीतिक और सांस्कृतिक एकता का रूप सामने आया था वह तीसरी-चौथी शताब्दी में ध्वस्त होने लगा। विकेन्द्रीकरण की प्रवृत्ति बढ़ने लगी और अनेक राजवंशों की स्थापना हो गयी। इन राजवंशों में चालुक्य शक्ति प्रबलतम रही है।
इस राज्य के शासन काल में सांस्कृतिक एवं कलात्मक विकास की आधारशिला रखी गयी तथा हर धर्म को पल्लवित, पुष्पित और फलित होने का अवसर प्रदान किया गया। चालुक्य वंश शत-प्रतिशत जैनधर्म का पालक तो नहीं रहा पर उसने मुक्त हस्त जैन मन्दिरों और गुफा - गृहों का निर्माण अवश्य किया तथा उनके संचालन के लिये दान दिया। आधुनिक महाराष्ट्र, मैसूर, आन्ध्र तथा गुजरात के जिन प्रदेश भागों पर उनका आधिपत्य था, सर्वत्र जैन संस्कृति अपनी वास्तुशिल्प के साथ आज भी लोकप्रिय बनी हुई है। चालुक्यवंशीय नरेश साधारणतः शिव अथवा विष्णु के उपासक थे पर उन्होंने जैन-बौद्धधर्म के साथ भी पूरी उदारता का परिचय दिया और उनको समृद्ध होने/करने
भरपूर सहयोग दिया।
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