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१११ रहीओ राह तेहनउ अणगालि गुरड़ भणइ पंखीओ सामी न्यानि निहालि निहालि गुरड़ भणइ अम्हो भोजन करिस्यां बइठा अरि आधारि दोष पंख वाजीआ सरग भवन हूओ होला हड़लउ धाक अमीह काजि।। असुर नाग सुर नमीआ पइठः ठः कुण्डमांहि अमीअ धार घण व (द) रसण लागी ऊठि डंकनी जिसि जी दुख पंख वा त्रिभूवने नासंति विष।।
सोल वरस की गोरड़ी, बीस वरस कुं नाह। पवण निशि पर डसीओ, चंद गलिउ जिम राह।। चंद गलिउ उजिम राह, नाह कुमिलाणा नयणा। राखि राखि हो ताल्ह कुमार, हूं शरणा गत तोरा। वीर (स) वरस कु नाह, सोल बरस की अगनि अंगूठइ लागी। कबि लग जाइ कपालि जागइ प्रीअ सूइ बेजण पडीआ जंजालि अलजु अंगि मुझ भरतारि कवण जो राजइ राय राणा। राखि राखि हो ताल्हण कुमार हुं सरणागत भारी मुझ अहि घात ऊआरइ। अगनि अंगूठए लागी। कदि लगइ जाइ कपालि। एक कामणि अउर बाली विछोही भरतार। डंक तणइ सिरि वरिसि ताल्हण अभीअ संचारि। राखि राखि हो ताल्ह कुमार। मुझ प्रीउ मरइ अखूटइ वाजइ लहरि विष घांघ। ताल्हण वलतुं रुदन करइ मुख घाउ मूंकइ हउं भाऊ हटाली विछो भरतार एक कामिणि उर बाली डाक सिउं डाक वाजइ बहु कांसी झमकार। चंद्ररोहिणी मिलिउ, धणि मिलिउ भरतार। तखिक राउ तूठड ढाली अमी गयउ विष छांडी। अंक तणइ सिरि तूठउ ऊठिउ ताल्हण हूइ संति। मूधि मंगल तिहां छाजइ, बहु कांसी झमकार डाक डमरू बहु वाजइ।। त्रिभुवने नासंति विष।। इति नाग विद्या संपूर्णाः।
डंक ऊपरि केसर सूकडि कपूर कस्तूरिकादि लावणा पुष्प चढावणा भोग प्रचुर अखेवणा। गुरु पूजादि भगति करवी। इति विधानात् सिद्धि नान्यथा। ॐ ह्राँ श्रीँ झ्बां झ्वी झव:। श्री तक्षकाय नमः स्वाहा।। सं० ५३ वर्षे वैशाख सित १४ तिथौ।
ॐ नमो आदेश गुरु कुं।। एक पलक दोपल पलीआ वरण्यं झाडु महमद बंढीया तीन भुवन का लेऊं विछ छीन गजथवर दृक्कर दउं तीन तीन टक्कर तीन ताल जा जारे विष समद पाताल बतीसे बतीसे रंग एक बत्तीसे मोडे अंग एक बत्तीसे दाढज भरइ सवा लाख भार विष वस करइ विष वासै ते आया वीर नरवान किया सब शरीर ढोल के विष शबद विष।
__ सर्प के जहर उतरने के मंत्र (१) ॐ नमो नाग वासकी सात समुद्र पवन पातर विष घोल संकर नाथ तुम्हो सुणौ कामी आछै आछै त्रांबा कुंडी भरी आणुं पाणी मुं विष कुंपा धरम की आज्ञा विष पाताल जा ब्रह्म जा वार रासी शिवा जा शंकर जा न खोज नाव चखो चख ऊतरि नहीं तो माथै मारूं त्रिण टाकर मोरी भक्ति गुरु की शक्ति फुरैः (इण मंत्रै वार १०८ पाणी मंत्री हाथ रा नख पग रा नख तालुऔ छांटी माथै टाकर ३ मारीजै बाकी पाणी पाइजै सरप विष ऊतरै)
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