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रायनगर रुअडलु देस नई असीइ लाख अनइ तेरसइ ए तेह तणउ राजान नइ वासिग राओनइ सवइ सिरी सु प्रभु आविओ ए। तास घर घरणीअ नागल देवि राणी अदूअर कुंयर आलीलड़उ ए। तेणि पाटणि छइ ताल्हइओ तलार नइ काल चोरो नवि संचरइ ए। तेह तउ राजान नइ वासग राओ नइ शवसरी सउ प्रभु आवियउ ए चालि शिव सरी सु राजादिक आवीओ गिरुआ गुरवर खंडण पहरणइ फाली अंगि चोली बहुत पाउल पेखणा भीम मइ एक मनि हसी इणि परि बोलज अक्खए असीअ लाख अनइ तेरसइ जामां एता देसव संठए अमुक सरोवर पारिजात तरुअर कुअर दूछर तिहां तलइ एकवीस खित्री अछइ तिहां तणइ राय नयरपुर भीतर।।३६ पाटण:।। त्रिभुवने नासंति विषं गच्छ रे।। नरपुर पाटण सुसील सरोवर निऊअ लाख अनइ नवसइ ए तेह तणउ राजान भणीइ छइ नील नइ संधि चडी प्रभु आवीयउ ए तास घर घरणी नइ सूडव दे राणी नइ पारिख कुमर आलीलडुंए। तेणि पाटणि अछइ वासिग तलार नई काल चोरो नवि संचरइ ए। चालि रे चालिरे।। सिह चडी प्रभु आवीयओ।। वाट वोट ससि खंडणा वाजंति तंती विकट भूती। अरे रे पडह तिह बाज णा। कंसाल तालह वंश काहल नील आगलि वज्जए सुहवि देवि राणी कुंअर पारखि मदन सिला तस भीति रे। एकवी पित्री अछइ तिणि पुरि राय नयर सभीतरे ३७ पाटणः।। त्रिभूवने नासंति विषं गच्छ गच्छ॥ खिति जल पवन नइ तेज आकासि नइ सूर नइ ससिहर ब्रह्मपुत्र नहीं तुम्हे बालूया चेत अचेत नइ तहीइ एक तरुअर एक आधि चालि रे चालि आदि आधिइ एक सरुअर मूल दृढ करि बद्धओ सुर असुर मिल्या तेत्रीसइ तिहितj पारत नाधउ खित जल पवन नही ससि सूरजि अलंकार पहूतउ भणइ ते पेहुलि सुणि हो ज्ञानी तरुअर दृढ करि बद्धउ ३८ त्रिभुवने नासंति विषं गच्छ गच्छ।।
तेणि तेणि वृक्ष नइ दक्षण दिसि डाल नइ डाल बांधि पालणुं ए पुरुष एक पूठइ छइ। पूंअरा मात्र नइ सृष्टि आरंभण सोमनि धरइ ए चालि चालि रेरे पुरुष एक पालणइ पोंढइ सपत कल्पांतर सांभरइ आगम वेद पुराण वखाणइ सुख समाधि जीव मनि धरइ खिति जल पवन नहीं सिसि सूरज प्रलंकार पहूतुं भणइ ति पिहुलि सुणि हो ज्ञानी कहु किसि कारणि पुरुष तिहांसूत उ ३९ त्रिभुवने नासंति विषं।।
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