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चालि हो चालि अमोघ सरोवरपालि कूयरइ छर भारिआ।। भणइ तिहां पेहुलि सुणि हो दाढा, राय नयर सिणगारिआ।।७।।
पारधि।। त्रिभुवने नासंति विषं? कुंजहरण विष रुअडलु देस नइ वारलाख अनइ त्रिण्ह सइ सइ ए। नेह तणु राजन नइ भणिइ छइ सेस भइ कुरंभ चडी प्रभु आवीयउए। तास घर घरणीअ लीलादेवि राणी नइभादीओ कुंअर अलीलडउ ए। तेणि पाटणि न सिंघ तलार नइ काल चोरा नवि संवरइए। तीह तणुं राजनइ भणीह छइ सेस नई स कुरंभि चडी नइ प्रभु आवियउ ए। चालि २॥ कुरंभ चडी राजादिक आविओ। कुंज हरण पुर मंडणा। बारह लाख नइ त्रिणिसइ गामां एनुं देस ति तान्हणापुरर विषेह तुरीअ हंसार व इणि परि पेहुति अक्ख ए। पाए टोडर हाथि कटारुं राउत भाद सभादए। इकवीस मंडली एक तिहां। हरपाल छइ आगलउ। सवा कोड़ि फण विष ज वरसइ कुंज हरणपुर मंडणउ पाटण: त्रिभुवने नासंति विष? विसहर नयर विष रुअडलं देस नइ चउदह लाख नइ सात सई ए तेह तणा राजान देव अनंत नइ गुरडि चडी प्रभु आवियउ ए तास घर घरणी नइ भावल देवी राणी नइ खागल कुमर आलीलडउए तेणि पाटणि अछइ सेस तलार नइ काल चोरो नवि संचरइ ए तेह तणुं राजा नइ सूरिजहंस ते रथि चढी नइ प्रभु आवियउ ए।। चालि हो चालि हो चालि रथ चडी राजा दिक आयु चडीय सारथि अरणीआ रतमइ पाट जडीआ माणिक। जइ धुरि तुरीअ सजोडीया अहिठाण पाटण सोवनमइ नगर सरवरपुरथी छाहीया जाहड़ देवी राणी कुंअर जिमघट सपत पातालइ समरी आ? ३४ पाटण: त्रिभुवने नासंति विषं गच्छ गच्छ स्वाहा:।।३ दंस हरण विष रूवडलु देस नइ चउदह लाख अनइं आठ सइ लेह तणुं राजान नइ ताहीओ वीर नइ रिषभ चडी प्रभु आवियउ ए। तास घर धरणी नइ विषमा देविराणी नइ एकुल कुमर आलीलडउए तेणि पाटणि सूरजितलार नइ काल चोरो नवि संचरइ ए तेह तणुं राजान नइ ताल्हण वीर नइ वृषभ चडी नइ प्रभु आवियउ ए। चालि चालि नइ सोवनमइ चंच नइ रूप मइ पंख तेहतणइ वृषभ वाहणा चउद लाख आठसइ गामा एy देसति ताल्हणा अवढ सारावर वसंत कूअर विप्र वेद स बहुगुणा कोसीसा मंदिर रतने जडीआ हार विषमादे राणीआं चउदह सइ कलस वारसइ तोरण ताल्ह नयर पुर चंगीयां। एक वीस षित्रीय छइ एकल वीर हंस हरण अति चंगी ३५ पाटणः।। त्रिभुवने नासंति विषं गच्छ गच्छ।।
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