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आठ कर्म
मन्त्रों के मुख्यत: आठ कार्य हैं। इन्हीं आठ कार्यों के लिए मन्त्रों का प्रयोग और साधना की जाती है। वे हैं- शान्तिकर्म, पौष्टिककर्म, वश्यकर्म, आकर्षणकर्म, स्तम्भनकर्म, उच्चाटनकर्म, विद्वेषणकर्म और अभिचारकर्म।
शान्तिकर्म, ज्वर रोगादि की शान्ति के लिए श्वेत वस्त्र धारण कर श्वेत यन्त्रोद्धार करके, उसकी पूजा करके, पश्चिम की ओर मुख करके, पद्मासन, ज्ञानमुद्रा में, अर्द्धरात्रि के समय, पूरक योग में, सीधा स्वर, श्वेत (स्फटिक) माला, दाहिने हाथ की मध्यमा अंगुली से १०८ बार शान्ति मन्त्र जपने का विधान है।
पौष्टिक कर्म के लिए भी श्वेत वस्त्र, श्वेत यन्त्रोद्धार, सूरिज्ञानमुद्रा, स्वस्तिक या पद्मासन, प्रभात समय, पूरक योग, जलमण्डल, सीधा स्वर, उत्तर दिशाभिमुख होकर, दाहिने हाथ की मध्यमा अंगुली से मोती की माला द्वारा जप करने का विधान है। आकर्षण कर्म के लिए रक्तवर्ण यन्त्रोद्धार, लाल वस्त्र, दक्षिणाभिमुख, दण्डासन, कुशमुद्रा, वाम स्वर, पूरक योग, अग्नि पल्लव, बाएँ हाथ की कनिष्ठिका अंगुली से लाल माला द्वारा प्रभात के समय जप करने से कार्य सिद्धि कही गई है।
स्तम्भन कर्म में हरितालादि पीतवर्ण यन्त्रोद्धार, पीले वस्त्र, शंखमुद्रा, वज्रासन, पूर्व दिशाभिमुख, ठः ठः पल्लव, कुम्भक योग, पृथ्वी मण्डल, सीधा स्वर, दाहिने हाथ की कनिष्ठिका अंगुली से स्वर्ण माला द्वारा जप करने की विधि निर्दिष्ट है। उच्चाटन कर्म में कृष्ण वर्ण से यन्त्रोद्धार, प्रवालमुद्रा, कुक्कुटासन, फट् पल्लव, धूम्र (काले) वर्ण के वस्त्र, वायुमण्डल, रेचक योग, सीधा स्वर, वायव्य दिशाभिमुख, दाहिना हाथ, तर्जनी अंगुली, पुत्रजीवमणी की (काली) माला बताई गई है। विद्वेषण कर्म के लिए आग्नेय दिशा, मध्याह्न समय हुं पल्लव और शेष सब उच्चाटन के समान निर्देश है। अभिचार कर्म के लिए सर्व विषमिश्रित उन्मत्त रसों से यन्त्रोद्धार, कृष्ण वस्त्र, ईशान दिशाभिमुख, वज्र मुद्रा, भद्रासन, घेघे पल्लव और शेष सब उच्चाटन कर्म के समान निर्देशित हैं। इसका समय संध्याकाल बताया गया है। योग
__ मन्त्र साधक और मन्त्र के आदि अक्षर से नक्षत्र, तारा और चन्द्र की अनुकूलता ज्योतिष से मिला लेना चाहिए। यदि विरोध न हो तो समझना चाहिए कि मन्त्र सिद्ध होगा। इसी को योग कहते हैं।
जिस मन्त्र की साधना करनी है उस मन्त्र के अक्षरों के तीन गणित करके अपने नाम के अक्षरों को उसमें मिला दें। उस संख्या को १२ से भाग दें। यदि शेष संख्या ५-९ बचे तो मन्त्र सिद्ध होगा, ६-१० बचे तो देर से सिद्ध होगा, ७-११ बचे तो
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