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मुक्ति जाइ। १९. चहु प्रकारइ घाइ स्वासादन गणता ते स्वासादन केहबू गुडादि मीठी वस्तुनो
विमन तथा माला ऊँचां वामथी पडवउ, जिम तिम उपशम श्रेणी थकी पडत स्वासादन सम्यक्त्व हुइ मिथ्यात्व अयामतु। पंच प्रकारंत तु वेदक सम्यक्त्वं मिथ्यात्व मिश्ररूप द्विपुंज क्षये तृतीय
सम्यकत्यस्य क्षयकाल चरम समए सुद्धाणु वेदन रूपं वेदकं भवति।। २१. अंतर्मुहुर्त ऊपसम सम्यक्त्व छह आवलिका उप्पा उपसम समकति हुइ छह
आवली स्वासादन समकति हुइ। एक समउ वेदक हुइ, तेत्ती ३३ सागर का फेरा, क्षाइक छासट्ठि ६६ सागर का फेरा खउ खउपसमय होई वेदक हुइ।
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