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प्रो० माहेश्वरी प्रसाद, प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति और पुरातत्त्व विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय; वाराणसी, प्रो० प्रेमचन्द्र पातञ्जलि, कुलपति, पूर्वाञ्चल विश्वविद्यालय, जौनपुर; श्रीमती विमला पोद्दार, अधिष्ठात्री, ज्ञानप्रवाह आदि कुछ विद्वान् वाराणसी से बाहर होने के कारण नहीं पधार सके।
द्वितीय सत्र का प्रारम्भ प्रो० भागचन्द्र जैन के विषय प्रवर्तन से हुआ । इस सत्र की अध्यक्षता प्रो० रेवतीरमण पाण्डेय ने की। इस सत्र में डॉ० दीनबन्धु पाण्डेय, श्री क्रान्ति कुमार जी, श्री जमनालाल जी जैन, डॉ० कमलेश कुमार जैन एवं डॉ० सुदर्शनलाल जैन आदि ने आदर्श परिवार की परिकल्पना के सम्बन्ध में अपने विचार व्यक्त किये। अन्त में प्रो० पाण्डेय ने अपना अध्यक्षीय भाषण दिया। कार्यक्रम के पश्चात् सामूहिक भोज का आयोजन रहा जिसमें आगन्तुक विद्वानों एवं बड़ी संख्या में पधारे वाराणसी जैन समाज के लोग सम्मिलित हुए ।
पार्श्वनाथ विद्यापीठ में भारतीय संस्कृति में शिव विषय संगोष्ठी का संक्षिप्त विवरण
वाराणसी ३० मई : राय कृष्णदास इण्टेक न्यास, वाराणसी एवं पार्श्वनाथ विद्यापीठ के संयुक्त तत्त्वावधान में राष्ट्रीय मानव संस्कृति शोध संस्थान, वाराणसी द्वारा आचार्य वासुदेवशरण अग्रवाल की स्मृति में दिनांक २७-२९ मई २००० को विद्यापीठ के सभागार में भारतीय संस्कृति में शिव विषयक त्रिदिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में ४० शोधपत्र पढ़े गये जो इतिहास, राजनीति, दर्शन, कला, संस्कृति, भूगोल, अध्यात्म, तन्त्र आदि विधाओं पर आधारित थे। शोधपत्र वाचकों में राष्ट्रीय संग्रहालय, नयी दिल्ली के पूर्व निदेशक सुप्रसिद्ध कलामर्मज्ञ प्रो० रमेशचन्द्र शर्मा, राज्य संग्रहालय, लखनऊ के पूर्व निदेशक प्रो० नीलकण्ठ पुरुषोत्तम जोशी, शैवदर्शन के उद्भट् विद्वान् प्रो० ब्रजवल्लभ द्विवेदी, सुप्रसिद्ध विचारक डॉ० भानुशंकर मेहता आदि प्रमुख थे। प्रख्यात कलाविद् प्रो० आनन्दकृष्ण ने इस संगोष्ठी में पढ़े गये शोधपत्रों की समीक्षा प्रस्तुत की। इस संगोष्ठी में पार्श्वनाथ विद्यापीठ के निदेशक प्रो० भागचन्द्र जैन ने पुराणों में ऋषभदेव और शिव; डॉ० श्रीमती पुष्पलता जैन, नागपुर ने महाभारत और जिनसेन के आदिपुराण में वर्णित शिव; डॉ० अशोक कुमार सिंह ने जैन संस्कृत नाटकों में शिव; डॉ० श्रीप्रकाश पाण्डेय ने जिनसहस्र नाम में उपलब्ध शिव नाम : एक विवेचन श्री ओमप्रकाश सिंह ने अमरकोश में वर्णित शिवतत्त्व और डॉ० शिवप्रसाद ने विविधतीर्थकल्प में उल्लिखित कतिपय ज्योर्तिलिंग नामक अपने शोधपत्रों का वाचन किया। संगोष्ठी के प्रथम सत्र की अध्यक्षता भी संस्थान के निदेशक डॉ० भागचन्द्र जी ने की।
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