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पार्श्वनाथ विद्यापीठ में वित् सम्मान समारोह एवं संगोष्ठी का विवरण
पार्श्वनाथ विद्यापीठ एवं श्री बनारस पार्श्वनाथ मन्दिर जीर्णोद्धार ट्रस्ट के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित विद्वत् सम्मान समारोह एवं आदर्श परिवार की परिकल्पना : धर्मशास्त्रों के परिप्रेक्ष्य में नामक संगोष्ठी सुप्रसिद्ध जैनाचार्य श्री राजयश सूरिजी महाराज के पावन सानिध्य में विद्यापीठ के प्राङ्गण में दिनांक १४ मई को हर्षोल्लासपूर्वक सम्पन्न हुई। इस कार्यक्रम में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर वाई०सी० सिम्हाद्रि मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। पद्मविभूषण प्रो० विद्यानिवास मिश्र की अध्यक्षता में कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ। सर्वप्रथम साध्वीवृन्द द्वारा प्रस्तुत मङ्गलाचरण और श्रीमती रंजना जैन द्वारा स्वागत गीत हुआ। आगन्तुक अतिथियों का स्वागत पार्श्वनाथ विद्यापीठ के निदेशक प्रो० भागचन्द्र जैन 'भास्कर' तथा कार्यक्रम का संचालन कुँवर विजयानन्द सिंह ने किया। इस अवसर पर अपने आशीर्वाद में आचार्यश्री ने कहा कि यह संसार कोई सीधी रेखा या सरल लाइन नहीं है। इसे न ही त्रिकोण कहा जा सकता है और न ही चतुष्कोण अपितु इसे चक्र कहा जाता है। जीवन की परिस्थिति ऐसी है कि जिसमें अनुकूलता और प्रतिकूलता आती रहती है। जीवन में मान-अपमान, प्रगति-अधोगति आती रहती है। ये सब चक्र चलते रहते हैं। संसार को चक्र इसलिये कहा गया है कि चक्र में कहीं आदि और अन्त नहीं होता। उन्होंने कहा कि चक्र भौतिकवाद की प्रगति के सत्य और अध्यात्मवाद में समाहित सत्य दोनों का निर्देशन करता है। मुख्य अतिथि के रूप में अपने उद्बोधन में प्रो० सिम्हाद्रि ने कहा कि आज नैतिक मूल्यों के ह्रास से जीवन शैली प्रभावित हुई है। आगे उन्होंने कहा कि धर्मशास्त्रों में वर्णित आदर्श आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने प्राचीन काल में थे। इस अवसर पर जैनविद्या के क्षेत्र में विशिष्ट शोधकार्य कर रहे विद्वानों का सम्मान किया गया। सम्मानित होने वाले विद्वानों में प्रो० सिम्हाद्रि, प्रो० विद्यानिवास मिश्र, प्रो० सी०एस० उपासक, प्रो० आनन्दकृष्ण, प्रो० रेवाप्रसाद द्विवेदी, प्रो० लक्ष्मीनारायण तिवारी, प्रो० रेवतीरमण पाण्डेय, डॉ० दीनबन्धु पाण्डेय, डॉ० मारुतिनन्दन तिवारी, डॉ० कमल गिरि, डॉ० हरिहर सिंह, प्रो० भागचन्द्र जैन 'भास्कर', प्रो० सुदर्शन लाल जैन, डॉ० फूलचन्द जैन, डॉ० कमलेश कुमार जैन, डॉ० मुकुलराज मेहता, डॉ० भानुशंकर मेहता, डॉ० रत्नेशकुमार वर्मा, श्री क्रान्तिकुमार जी, श्री जमनालाल जैन, श्री सत्येन्द्र मोहन जैन आदि प्रमुख थे। प्रत्येक विद्वान् को शान्ति-सुखपरिवार, लन्दन की ओर से एक शाल, श्रीफल, आचार्यश्री द्वारा प्रणीत पुस्तकें एवं विद्यापीठ की स्मारिका भेंट की गयी।
इस सम्मान समारोह में प्रो० राममूर्ति शर्मा, कुलपति- सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, प्रो० वी० वेंकटाचलम्, प्रो० एस० रिम्पोछे, निदेशक- तिब्बती उच्च शिक्षा संस्थान, सारनाथ, प्रो० रामजन्म सिंह, कुलपति- महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ,
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