SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 75
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६८ ५१. 'पुण्यपापपदार्थोपसंख्यानमिति चेत्, न; आस्रवे बन्धे वान्तर्भावात्।' इद्धि तत्त्वार्थवार्तिक अ०१, पृष्ठ २७ (ज्ञा० सं०)। ५२. महाकवि हरिचन्द्र का 'धर्मशर्माभ्युदयम्' अथ से इति तक चन्द्रप्रभचरित से प्रभावित है। इसके अन्तिम सर्ग का लगभग आधा भाग चन्द्रप्रभचरित का ऋणी है। ऊपर केवल नमूने के लिए ४-५ पद्यों की ही तुलना की गयी है। खरकों का शब्द साम्य हरिचन्द्र को हेमचन्द्र का उत्तरवर्ती सिद्ध करता है। ५३. यह सूचना पं० रतनलालजी कटारिया, केकड़ी (अजमेर) के दिनाङ्क २२/४/६८ के पत्र से प्राप्त हुई। ५४. काव्यप्रकाश, १,१. ५५. साहित्यदर्पण, ६,३१५-३२१. ५६. अलङ्कारचिन्तामणि, १,२४; चन्द्रप्रभचरित के वर्ण्य-विषय. ५७. राजा-कनकप्रभ १, ३९-५४; श्रीषेण ३,१-१३; अजितंजय ५,२३-२५; महासेन १६, ११-१५; चन्द्रप्रभ १७,५२-६०. ५८. रानी-सुवर्णमाला १,५५-५७; श्रीकान्ता ३, १४-१८; अजितसेना ६, ३६-३९; लक्ष्मणा १६, १६-१९; कमलप्रभा १७,६०. ५९. पुरोहित ७,१४. ६०. कुमार-पद्मनाभ १,५८-६३; श्रीवर्मा ४, १-१४; अजितसेन ५,४०-४४; चन्द्रप्रभ १७,५०। ६१. देश मङ्गलावती १, १२-२०; सुगन्धिदेश २, ११४-१२४; अलका ५, २-११; अरिंजय ६,४१; पूर्वदेश १६, १-५. ६२. ग्राम १,२०, २, ११८. ६३. पुर-रत्नसंचय १, २१-३८; श्रीपुर २, १२५-१३२; कोशला ५, १२-२२; विपुलपुर ६, ४२; आदित्यपुर ६, ७५; चन्द्रपुरी १६, ६-९. ६४. सरोवर-मनोरम ६,१. ६५. समुद्र ४, ६५; १६, २९-३०. ६६. सरित्-जलवाहिनी १३, ५३-६२. ६७. उद्यान-मनोहर २, १२-२३. ६८. पर्वत ६, १२; मणिकूट १४, १-४०. ६९. अटवी-परुषा ६, ५-१०. ७०. मन्त्रणा १२, ५७-१११. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525039
Book TitleSramana 1999 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1999
Total Pages202
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy