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________________ ६४ श्रुतमुनि का जयघोष किया है और उनके वैदुष्य की श्लाघा भी। वि० सं० १३९५ में समाप्त परमागमसार के रचयिता का नाम भी श्रुतमुनि है। यदि इन्हीं का जयघोष पञ्जिकाकार ने किया हो तो वे इनसे परवर्ती ही ठहरते हैं। ऐसी स्थिति में जिनरत्नकोश (भा०१, पृष्ठ १२०) में दिया गया इनका समय (वि० सं० १५९७) सही-सा प्रतीत होता है। विशेष निर्णय के लिए अन्य सामग्री की अपेक्षा है। सन्दर्भ : १. पुराणसारसंग्रह (७६,२) में देश का नाम यन्त्रिल लिखा है। २. पुराणसार (७६,३) में श्रीमती नाम दिया है। ३. उत्तरपुराण (५४,४४) में राजा का चिन्तित होना लिखा है। ४. उत्तरपुराण (५४,५१) में गर्भधारण करने से पहले चार स्वप्न देखने का उल्लेख है और पुराणसारसंग्रह (७६,५) में पाँच स्वप्न देखने का। पुराणसारसंग्रह में गर्भचिह्नों की चर्चा नहीं है। उत्तरपुराण (५४,७३) में मुनि का नाम श्रीपद्म और पुराणसारसंग्रह (७८,१९.) में श्रीधर लिखा है। जिस वन में दीक्षा ली थी, उसका नाम उत्तरपुराण में शिवङ्कर और पुराणसारसंग्रह में प्रियङ्कर दिया है। ७. पुराणसारसंग्रह (७८,१९) में श्रीकान्त के स्थान में श्रीधर लिखा है। ८. उत्तरपुराण (५४;८७) में और पुराणसारसंग्रह (८०,२२) में नगरी का नाम अयोध्या लिखा है। पुराणसारसंग्रह (८०,२३) में रानी का नाम श्रीदत्ता लिखा है। १०. उत्तरपुराण (५४,८९) में श्रीधर देव के गर्भ में आने से पहले रानी के आठ शुभस्वप्न देखने का भी उल्लेख है। ११. इस घटना का उल्लेख उत्तरपुराण और पुराणसारसंग्रह में नहीं है। १२. इस घटना का उल्लेख उत्तरपुराण और पुराणसारसंग्रह में नहीं है। १३. इस घटना का उल्लेख उत्तरपुराण और पुराणसारसंग्रह में नहीं है। इन दोनों में सम्राट द्वारा अरिंदम मुनि को आहार दिये जाने का उल्लेख है, जो चन्द्रप्रभचरित में नहीं है। १४. उत्तरपुराण (५४-१२२) में उद्यान का नाम 'मनोहर' लिखा है। १५. पुराणसारसंग्रह (८२-३२) में कनकाभ नाम लिखा है। १६. पुराणसारसंग्रह (८२-३२) के अनुसार रानी का नाम कनकमाला है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.525039
Book TitleSramana 1999 10
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1999
Total Pages202
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size8 MB
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