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श्रीपारसमल चण्डालिया पुरस्कृत पुरस्कृत- श्रमणसंघीय महामन्त्री श्री सौभाग्यमुनि 'कुमुद' की प्रेरणा से श्री अखिल भारतीय स्थानकवासी श्वेताम्बर जैन कान्फ्रेंस द्वारा आयोजित निबन्ध-प्रतियोगिता में सुप्रसिद्ध विद्वान् श्री पारसमल जी चण्डालिया को प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया है।
वाचक उमास्वाति सुवर्ण चन्द्रक पुरस्कार १९९९ जैनधर्म-साहित्य के विशिष्ट मर्मज्ञ जर्मनी निवासी प्रो० भालचन्द्र त्रिपाठी को प्रदान किया गया।
दीक्षा- विचक्षण श्री महाराज की सुशिष्या साध्वी मणिप्रभा श्री जी के सानिध्य में कु० सविता टांक व कु० अमिता टांक की भागवतीदीक्षा दिनांक १ दिसम्बर को शहादा-महाराष्ट्र में सम्पन्न हुई।
प्रतिष्ठा- दिनांक १० से १७ फरवरी २००० तक वेणूर-कर्णाटक में पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव तथा १८ फरवरी को श्री बाहुबलि महामस्तकाभिषेक समारोह का आयोजन किया गया है।
निबन्ध प्रतियोगिता- श्री प्रदीप अजमेरा द्वा० णमोकार महामन्त्र-अर्थ, भावार्थ और महात्म्य, नामक विषय पर ३१.१२.९९ तक हिन्दी भाषा में निबन्ध आमन्त्रित हैं। निबन्ध पुरस्कृत भी किये जायेगें।
सम्पर्क सूत्र- श्री प्रदीप अजमेरा, एन ९, ए-११६, एल ५२/४, सोना माता विद्यालय के पास, नया औरंगाबाद ४३१००३ (महाराष्ट्र)
अहिंसा इण्टरनेशनल द्वारा वार्षिक पुरस्कारों के लिये नाम आमन्त्रित
अहिंसा इण्टरनेशनल द्वारा वर्ष १९९९ के लिये ४ पुरस्कारों- अहिंसा इण्टरनेशनल डिप्टीमल आदीश्वर लाल जैन साहित्य पुरस्कार; अहिंसा इण्टरनेशनल भगवानदास शोभालाल जैन शाकाहार पुरस्कार; अहिंसा इण्टरनेशनल रघुवीर सिंह जैन जीव रक्षा पुरस्कार एवं अहिंसा इण्टरनेशनल प्रेमचन्द्र जैन पत्रकारिता पुरस्कार हेतु १५ जनवरी २००० तक निम्नलिखित पते पर लेखक/कार्यकर्ता/पत्रकार के पूरे नाम व पते, जीवन परिचय (फोटो एवं सम्बन्धित क्षेत्र में कार्य विवरण सहित) आमन्त्रित हैं। भेजने का पता- श्री प्रदीप कुमार जैन, सचिव, अहिंसा इण्टरनेशनल, ४६८७, उमराव गली, पहाड़ी धीरज, दिल्ली ११०००६.
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