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काव्यप्रकाश पर सबसे पहली ‘संकेत' नाम की टीका प्रकाशित हो चुकी है। इसके कर्ता जैन विद्वान् माणिक्यचन्द्रसूरि हैं। रुद्रट के काव्यालंकार पर जैन विद्वान् नमिसाधु ने टीका रची थी, जो प्रकाशित हो चुकी है। आचार्य सिद्धचन्द्र ने 'काव्यप्रकाश विवरण' रचा था। यह भी प्रकाशित हो चुका है।
अलंकारशास्त्र का अविकल अध्ययन, मनन और चिन्तन करने वालों के लिये उक्त ग्रन्थ बहुत ही महत्त्वपूर्ण है।
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