________________
७२ :
श्रमण/अप्रैल-जून/१९९९
अन्त में मैं उन तपःपूत, अनासक्त योगी, अक्षर-पुरुष पूज्य वर्णीजी के चरणों में अपनी विनम्र श्रद्धाञ्जलि अर्पित करता हूँ।
सन्दर्भ-सूची १. जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश (भाग १,२,३,४)-क्षु० जिनेन्द्र वर्णी, प्रकाशक
भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली, सन् १९७०-१९७३. २. पदार्थविज्ञान, पृष्ठ १. ३. वही, पृष्ठ १-२. ४. वही, पृष्ठ २-३.
वही, पृष्ठ ३. ६. जैनदर्शन में पदार्थ विज्ञान -जिनेन्द्रवर्णी, प्रकाशक- श्री जिनेन्द्रवर्णी
ग्रन्थमाला, ५८/४ जैन स्ट्रीट, पानीपत, द्वितीय संस्करण, सन् १९८२.
हिंसादिष्विहामुत्रापायावद्यदर्शनम् दुःखमेव वा। - तत्त्वार्थसूत्र, ७/९-१०. ८. मैत्री प्रमोदकारुण्यमाध्यस्थनि च सत्त्वगुणाधिकक्लिश्यमानाविनयेषु। - वही,७/११. ९. पदार्थविज्ञान, सम्पादकीय, पृ० ७. १०. वही, पृष्ठ ९. ११. वही, पृष्ठ ६.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org