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श्रमण / अप्रैल-जून १९९९
हयगंधा
कयकणा सेरिह लोणी सहाय कूठ वया । मलिय सवण थण वट्टिवि अह वत्ति चवल जले णासो । । ६१ ।। रयणि विडंग पटोला तिहला पडिकरसु अट्टकप्पिल्ला । णीलिणिसोय ति चउरो सविउवराजल सहा हाइ ।। ६२ ।। हिंग १ वयं २ चिय३ सोंठी४ जीरउ५ अभया६ पुक्करे७ कुट्ठो८ । विहइ दंतिणि सह दह इगिगं वट्टिय चुणोय ।। ६३ ।। उन्ह जले सह पाणे णिहणइं उयरइ कोट्ठरोयाइं । अवरे गुम्म विणासइ पयडो सद्दूल चुण्णोय ।। ६४।। गडिजड सुरदारो हरडइ छिणाय एक जल अट्ठ । तंकढियं पलुसेसं पल गोजल जोय पीवेह ।। ६५।। उयरा अट्ठ विणासय रुयगय दासाइं सोजयं हरड़ | नेगडियाई कत्थं पंडू रोयं तहा
चेव ।। ६६ ।।
रोयाहं फेडेइ ।। ६९।।
एल तजं अहिकेसरे मिरियसकणा सोट्ठि एगगं चढ़िय । सोलह सव्वर चुण्णो कोट्टय कंठाय रोयहरो ।। ६७ ।। जीरउ हिंगु जमोया सिंधउ विवुह कलयरउ भावेह | विजउर रसि अहतोए अह घिय बहुलेण भुंजिज्ज ।। ६८ ।। तं चुण्णं भक्खतो पंचइ गुम्माई सूल मंदग्गी । रक्तं सिरह उवाया सव्वे सुरदारो महु सुप्पं चुण्ण कुमारीय भक्खि जीरविए । पच्छापाणं खीरे सट्ठीयणसुजुण्णोय ।। ७० ।। तिसिरउ पीवइ णीरं णासंकरं गुलीय कुट्ठोत्तिं । तिं जो भेसंहि असझो वरिसिक्कि समूलउ जाइ ।। ७१ ।। तिहल विसाल पटोला पडिकर संतायमाण कडु अद्धं । सुंद्विद्धं कढिपीयं कुट्ठो सोजं पलाएह ।। ७२ ।। गहणीदोस विणासइ हरिसा अइसार मुत्त दोसाई ।
अहषयरो णिवरुया तरुणि सकसिया य णासए कुट्ठ ।।७३।।
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