________________
३४ :
श्रमण/अप्रैल-जून/१९९९
किरवालं गुरिच वया एरंडतेलु विकत्थए घिवह । तं पीयंतो णासइ वाइयरत्तं ण संदेहो ।। ३५।। सरपुंसा णयमूलं तंदुल तोएण वट्टियल एहं । रविवारेणय पिज्जइ रत्तंगालो पणासेइ ।। ३६।। जंभण जड तंदुल जल पीए मुहरत्त थंभणं करइ । अहि कंट्ठ वरिमूलं तं जलि पीयावि तंजि अवहरइ ।। ३७।। हरडइ दाडिम फुल्ला दुद्धारस लक्खरसय समभाए । णासो णासइ रुहिरं णासारणि वियप्पेण ।। ३८।। गोहुमजड तंदुल जलि पिट्ठा मुहरत्तं थंभणं करइ । जाइदला मुहिधरिया अहवा पाचं णिवारेइ ।। ३९।। जावा से जड चुण्णं तंदुल जलिपीयमाणेण । थंभइ मुहगय रत्तं जहसीया णिसियरेपसरो ।।४।। तिहला सोठि विसाला कडुय पडोलाय तायमाणो य । दो णिसि गिलोय कत्थं महु सह मुहपांचयं हरइ ।। ४१।। दारु णिसा गोक्खरूवं वे करिसाई कढ़ियाई पाणेण । णाडीवण मुहरोय णासइ जिम उनसमो रोसो ।। ४२।। मयणभुया सगुरीयं तंबोल दला सदारु जामीय । कलमीतंदुलजुत्ता फुट्टा अहराय उवसमहि ।।४३।। विज्जवरा जाइदला एल धणा सुरही पिप्पली वाला । केलय महु सह लेहो किणर कलगीय झुणिहोइ ।। ४४।। जाइदला गयपिप्पलि महु सह माहु लिंग कयलीहो । किण रस राण सरिसो होइसरो मासमिक्केण ।। ४५।। सिंधव हरडइ विवुहा जीरय वय (वच) वाटवीय सिंगूय । पडिपल एक्क समाणा वत्तीस पलाई तुप्पाइं ।।४६।। अयपय पल चउसट्ठी तं चिय णीरोइ तुप्पयं पिवह । सारसत्तुप्पिय णामो पीयंतह बागवलु होइ ।।४७।।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org