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________________ यशस्तिलक चम्पू में आयुर्वेदीय स्वस्थवृत्त सम्बन्धी विषय : १९ कहा गया है और यह केवल शरद ऋत में ही सिद्धि योग्य एवं सेवनीय होता है। इस जल के विषय में महर्षि चरक का निम्न कथन दृष्टव्य है – दिवा सूर्याशुसंतप्तं निशि चन्द्रांशुशीतलम्। कालेन पक्वं निर्दोषममस्त्येनाविषी कृतम्।। हंसोदकमिति ख्यातं शारदं विमलं शुचिः। स्नानपानावमाहेषु शस्यते तद्यथाऽमृतम्।। अर्थात् दिन में सूर्य की किरणों से सन्तप्त और रात्रि में चन्द्रमा की किरणों से शीतल किया हुआ, काल स्वभाव से परिपक्व, अत: दोषरहित और अगस्त्य नक्षत्र के प्रभाव से विषरहित किया गया जल "हंसोदक' के नाम से जाना जाता है जो शारदीय, विमल और पवित्र होता है। यह हंसोदक स्नान. पान-अवगाहन में अमृतवत् प्रशस्त होता है। __महर्षि चरक के इस हंसोदक जल तथा आचार्य वाग्भटोक्त हंसोदक जल की निर्माण विधि का अनुसरण करते हए ही आचार्य सोमदेव ने “सूर्येन्दु संसिद्ध” जल का कथन किया है। अत: दोनों में केवल नाम का ही अन्तर समझना चाहिये, निर्माण विधि आदि में कोई अन्तर नहीं है। इस सन्दर्भ में इतना अवश्य ध्यान देने योग्य है कि आयुर्वेदीय ग्रन्थों में हंसोदक जल के सेवन का उल्लेख मात्र ऋतु विशेष में है जबकि यशस्तिलक में सूर्येन्दु संसिद्ध जल के सेवन के लिए किसी ऋतु विशेष का उल्लेख नहीं है। तप्तं तप्तांशुकिरणैः शीतं शीतांशुरश्मिभिः । समन्तादप्यहोरात्रमगस्त्योदयनिर्विषम्।। शुचि हंसोदकं नाम निर्मलं मलजिज्जलम्। नाभिष्यन्दि न वा रूक्षं पानादिष्वमृतोपमम्।। अष्टाङ्गहृदय, सूत्रस्थान, ३/५१-५२ आयुर्वेदशास्त्र में प्रतिपादित है कि वात, पित्त और कफ ये तीन दोष मानव शरीर के लिए अति महत्त्वपूर्ण हैं और इनसे मनुष्य की प्रकृति का निर्माण होता है। शरीर में ऋतुओं के अनुसार इन दोषों का संचय, प्रकोप और प्रशमन स्वत: ही होता रहता है। यशस्तिलक में इनका सुन्दर विवेचन किया गया है, जो निम्न प्रकार है - शिशिरसुरभिधर्मेष्वातपाम्भः शरत्सु क्षितिप जलशरद्धेमन्तकालेषु चैते। कफपवनहुताशाः संचयं च प्रकोपं प्रशममिह भजन्ते जन्मभाजां क्रमेण।। यशस्तिलकचम्पू, श्लोक ३४९, पृ० ५१४. For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.525037
Book TitleSramana 1999 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1999
Total Pages210
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size8 MB
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