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श्रमण / जनवरी-मार्च १९९९
ग्रहण की। वि० सं० १८१० में इन्हें पंडित पद प्राप्त हुआ और वि० सं० १८६२ में अहमदाबाद में इनका निधन हुआ। इन्होंने बड़ोदरा राज्य में वहां के शासक से अमारि पालन हेतु आज्ञापत्र जारी कराया था। इनके द्वारा रचित विभिन्न कृतियां मिलती हैं ? १, जो इस प्रकार हैं:
१. सिद्धदंडिकास्तवन (वि० सं० १८१४ )
२. चौबीसजिनकल्याणकस्तवन (वि० सं० १८३६) ३. समरादित्यकेवलीरास (वि० सं० १८४२)
४. नेमिराजीमतीस्तवन (वि० सं० १८३६) ५. गौतमकुलकबालवबोध (वि० सं० १८४६) ६. जयानन्दकेवलीचरित (वि० सं० १८५८)
७. मदनधनदेवरास (वि० सं० १८५५)
पद्मविजय गणि के पश्चात् उनके शिष्य रूपविजय गणि उनके पट्टधर बने । इनके वैयक्तिक जीवन के बारे में कोई जानकारी नहीं मिलती। इनके द्वारा रचित कुछ कृतियां प्राप्त हुई हैं २२, जो इस प्रकार हैं:
१.
२.
३.
४.
५.
८. महावीरस्तवन
९. वीरजिनस्तुतिगर्भितचौबीसदण्डकस्तवन १०. नेमिनाथरास
११. उत्तमविजयरास
१२. पार्श्वप्रभुस्तुति
१३. ऋषभजिनस्तवन
१४. वीरजिनस्तवन'
६.
७.
पद्मविजयनिर्वाणरास (वि० सं० १८६२) अंबडरास (वि० सं० १८८० ) पृथ्वीचन्द्रचरित्र (वि० सं० १८८२ ) विमलमंत्रीरास (वि० सं० १९००)
स्नानपूजा पंचकल्याणकपूजा
पंचज्ञानपूजा वीरस्थानकपूजा आत्मबोधसज्झाय
८.
९.
१०. मनः स्थरीकरणसज्झाय ११. नन्दीश्वरद्वीपपूजा
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