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________________ १०. पार्श्वनाथस्तुति ११. शंखेश्वरपार्श्वनाथस्तोत्र १२. महावीरस्तवन १३. शत्रुंजयस्तवन १४. चतुर्विंशतिजिन नमस्कार १५. जिनस्तवन चौबीसी (रचनाकाल वि० सं० १७८९ ) १६. एकैव तथा द्वितीया स्तुति १७. अष्टमीस्तुति १८. अष्टमीचैत्यवन्दन स्तवन तपागच्छ विजयसंविग्न शाखा का इतिहास १९. एकादशीचैत्यवन्दन स्तवन २०. कपूरविजयगणिरास (रचनाकाल वि० सं० १७७९ ) २१. ज्ञानपंचमीस्तवन ( रचनाकाल वि० सं० १७८३) २२. क्षमाविजयगणिनिर्वाणमहोत्सवरास (रचनाकाल वि० सं० १७८६) २३. मौन एकादशी सज्झाय (रचनाकाल वि० सं० १७९५) २४. चैत्यवन्दनभाष्यनी स्तुति २५. पर्युषणस्तुति २६. सिद्धचक्रस्तुति २७. अजीवस्वाध्याय २८. जीवभेदसज्झाय २९. द्रुमपत्रीयाध्ययनसझाय ३०. विहरमानजिनबीसी ३१. पंचमहाव्रत भावना सज्झाय क्षमाविजय के दूसरे शिष्य जसविजय हुए। इनके द्वारा रचित जिनस्तवन चौबीसी नामक कृति प्राप्त होती है । यह कृति वि० सं० १७८४ में रची गयी है। इनके शिष्य शुभविजय हुए, जिनके द्वारा रचित न तो कोई कृति मिलती है और न ही इस सम्बन्ध में कोई उल्लेख ही मिलता है। शुभविजय के तीन शिष्यों - धीरविजय, भाणविजय और वीरविजय- का उल्लेख मिलता है १६ । १९वीं शती के उत्तरार्ध के प्रमुख रचनाकार के रूप में वीरविजय की प्रसिद्धि है । इनके द्वारा रची गयी कृतियां निम्नानुसार हैं: १. सुरसुन्दरीरास - रचनाकाल वि० सं० १८५७ २. अष्टप्रकारीपूजा - रचनाकाल वि० सं० १८५८ ३. नेमिनाथविवाहलो रचनाकाल वि० सं० १८६० ९० -
SR No.525036
Book TitleSramana 1999 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1999
Total Pages166
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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