SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 88
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ एलोरा की जैन सम्पदा - -- आनन्द प्रकाश श्रीवास्तव राजनीतिक स्थितियाँ सदा से ही कला एवं स्थापत्य के विकास की नियामक रही हैं। शासकों की धार्मिक आस्था एवं उनकी आर्थिक स्थिति के अनुरूप ही मंदिरों, गफाओं एवं देवमूर्तियों का निर्माण व विकास होता रहा। एलोरा महाराष्ट्र प्रान्त के औरंगाबाद जिले में स्थित है। एलोरा को एक विश्वप्रसिद्ध कला केन्द्र के रूप में विकसित होने की पृष्ठभूमि में शासकीय समर्थन की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। यहाँ वाकाटक, चालुक्य, राष्ट्रकूट एवं देवगिरि के यादवों के संरक्षण में छठी से तेरहवीं शती ई० के मध्य कुल ३४ गुफाएं उत्कीर्ण हुईं। जिनमें राष्ट्रकूटों के समय (सातवीं से दसवीं शती ई०) का निर्माण सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है। एलोरा भारतीय संस्कृति, धर्म एवं कला का संगम स्थल रहा है। एलोरा की देवमूर्तियों में धर्म के पारम्परिक एवम् कथात्मक स्वरूप की प्रधानता रही है। सभी प्रमुख भारतीय धर्मों (ब्राह्मण-बौद्ध-जैन) की यह कला-त्रिवेणी बहुत अनोखी है। इनके एक साथ होने से दर्शकों एवं शीघ्र-प्रज्ञों को यहां तुलनात्मक विवेचन का आधार भी मिल जाता है। गुफाएं और मूर्तियां जहां एक ओर अपने में कला एवं स्थापत्य के विकास का लम्बा इतिहास सजोए हैं, वहीं दूसरी ओर शासकों की धर्मसहिष्ण नीति की भी साक्षी हैं। प्रतिमालक्षण की दृष्टि से एलोरा की गुफाओं की देव मूर्तियों का विशेष महत्त्व है। एलोरा की जैन गुफाओं (गुफा क्रम संख्या ३० से ३४) का निर्माण एवं चित्रांकन दिगम्बर मतावलम्बियों के निरीक्षण से नवीं से तेरहवीं शती ई० के मध्य हुआ है। वास्तुकला के दृष्टिकोण से तलविन्यास के आधार पर ही इनमें अन्तर है। इन्द्रसभा के ऊपरी तल में इन्द्र तथा अम्बिका की भव्य प्रतिमा बरबस आकृष्ट करती है। इसके अतिरिक्त पार्श्वनाथ, बाहबली, महावीर आदि जैन तीर्थंकरों की प्रतिमाएं उत्कृष्ट हैं। यहाँ का जैनभित्ति चित्र भित्तिचित्रकला के इतिहास में एक अनमोल कड़ी एलोरा के जैन मंदिर इन्द्र सभा में नवीं और दसवीं शती ई० में तीर्थंकर मूर्तियों को बनवाने वाले सोहिल ब्रह्मचारी और नागवर्मा का नाम अंकित है। गुफा संख्या ३० से ३४ तक जैन गुफाओं में गुफा संख्या ३० का स्थानीय नाम छोटा कैलास मंदिर, गुफा संख्या ३२ का इन्द्रसभा एवं गुफा संख्या ३३ का जगन्नाथ सभा है। * पूर्व रिसर्च एसोसिएट, कला इतिहास विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी।
SR No.525036
Book TitleSramana 1999 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1999
Total Pages166
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy