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________________ कांगड़ा के ऐतिहासिक किले में श्री अम्बिका माता का पावन पीठ स्वामी के समय सुशर्म नामक राजा ने स्थापित किया है। तत्कालीन कवितामयी रचना “श्री नगरकोट तीर्थ विनती' (रचना काल - १४३१ ई०) में इसका उल्लेख इस ... तरह किया गया है - वारई नेमीसर तणए, थापिय राय सुसरंमि आदिनाई अम्बिका सहिय, कंकडकोट सिरम्मि 'विज्ञप्तित्रिवेणी' में एक अन्य स्थान पर ज्वालामुखी, जयन्ती, अम्बिका और लंगड़वीर का भी नगरकोट (कांगड़ा) के साथ उल्लेख मिलता है। पंजाब यूनिवर्सिटी लाहौर के डॉक्टर बनारसीदास जैन (१९३४) के अनुसार कांगड़ा किले में अम्बिका देवी के मन्दिर के दक्षिण की ओर दो छोटे-छोटे मंदिर हैं जिनके द्वार पश्चिम की ओर हैं। अनुप संस्कृत लायब्रेरी के गुटके में अभयधर्म गणि (सन् १५२३) द्वारा रचित 'नगरकोट वीनती' की अंतिम पंक्तियां इस प्रकार हैं - इय आदिजिणवरू भुवन दिणयरू नगरकोटि नमंसिउ । गणि अभय धरमहि विविह भत्तिहि करिय जातय संसीउ । जो धम्म नायक सुख्यदायक देवि अम्बिका परवरिउ । धण धन्न कारण कुगई वारण स्वामि महिमा अति भरिउ ।। बड़गच्छीय आचार्य श्री भद्रेश्वर सूरि (सन् १३९१ ई०) द्वारा रचित 'संघपति वीकम सीह रास' में कांगड़ा किले में माता अम्बिका का उल्लेख इस प्रकार किया गया है। कांगड़इ आदि जिणिंदु संघपति वीकमु पूज करई । अम्बिका तणई प्रसादि दुरिय जलहि निय भुय तरहिं।। माता श्री अम्बिका देवी की एक अन्य दुर्लभ प्रतिमा, जो कि आदिनाथ मन्दिर की बगल वाली दीवार में पुनः स्थापित की गई लगती है, में देवी माँ की गोद में पुत्र को दिखाया गया है। सन् १५२३ ई० में जयानंद कवि द्वारा रचित "सुसर्मपुरीय नृपति वर्णन छंद” में शायद इसी मूर्तिमान माता अम्बिका से कवि ने अपने राजा के लिए आशीर्वाद माँगा है। मूल रचना जो अपभ्रंश में है, का अनुवाद इस तरह है - "आम्र लँबधारिणी, गंधर्वो के गीतमान क्रम युक्त, बाईं गोद में पुत्र से अलंकृत, विशद् श्रृंगार भूषित, सुदृढ़ पराक्रमी सिंहवाहन पर आरूढ अम्बा देवी जिसके दाहिने हाथ से पुत्र संलग्न है, हे नर नाथ! वह देवी आपकी विघ्न बाधाएं क्षय करे।" वर्तमान में माता श्री अम्बिका देवी का यह पावन पीठ, कांगड़ा किले के अन्दर जैन मन्दिर में भगवान् श्री आदिनाथ की प्रतिमा के बिल्कुल बगल वाले छोटे से कमरे में प्रतिष्ठित है। मातृत्व शक्ति के इस भव्य स्रोत से श्रद्धालु भक्तजनों के विश्वास को युगों-युगों तक शक्ति मिलती रहेगी।
SR No.525036
Book TitleSramana 1999 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1999
Total Pages166
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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