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________________ बीसवीं सदी के धार्मिक आन्दोलन : एक समीक्षा हुआ, वहीं दूसरी ओर समान विचारधारा के लोग अपने बैर-विरोध भूलकर एक मंच पर भी बैठे हैं। किन्तु समग्र रूप से विचार करने पर अलगाववाद को ही प्रोत्साहन मिला है और कुछ अवसरवादियों ने धर्म अथवा आन्दोलनों के नाम पर अपनी रोटियाँ सेंकी हैं, जिसे स्वस्थ/ प्रशस्त-परम्परा नहीं कहा जा सकता है। पूर्वोक्त आन्दोलनों में से कुछ का सम्बन्ध धर्म से ही नहीं, जैनधर्म से जोड़ा गया है। अत: सर्वप्रथम हमें धर्म और तदनन्तर जैनधर्म के कुछ मूल बिन्दुओं को दृष्टि में रखना होगा। जैसे - धर्म ही प्राणी मात्र को अन्धकार से प्रकाश की ओर, जड़ता से चेतनता की ओर ले जाता है।....... निर्वाण की प्राप्ति भी उसी से होती है।' जैनधर्म के कुछ मूल बिन्दु इस प्रकार हैं जैनधर्म मूल रूप से व्यक्तिवादी धर्म है। अत: यह व्यक्ति-स्वातन्त्र्य को स्वीकार करता है। इसका मूल लक्ष्य अहिंसा का पालन है। यह वीतरागोन्मुखी अध्यात्मप्रधान धर्म है। यह धर्म जातिवाद को स्वीकार नहीं करता है। यह धर्म एक ही वस्तु में एक समय में परस्पर विरोधी धर्मों को अस्तिनास्ति रूप में एक साथ स्वीकार करता है। यह धर्म प्रत्येक वस्तु को अनेकान्तात्मक स्वीकार करता है। यह धर्म प्रत्येक वस्तु पर स्याद्वाद एवं नय-विवक्षा के आधार पर विचार करता है। जैनधर्मसम्मत उक्त मूल-बिन्दुओं को पृष्ठभूमि में रखते हुये कुछ प्रमुख आन्दोलनों की चर्चा यहाँ प्रस्तुत है। हरिजन मन्दिर प्रवेश जब देश स्वतन्त्र हुआ तो सभी देशवासियों को समानाधिकार दिलाने का उपक्रम प्रारम्भ हुआ। उसी क्रम में हरिजनों को समान धार्मिक अधिकारों को देने की घोषणा हुई और उसे कार्यान्वित कराने के लिये हरिजन मन्दिर प्रवेश बिल पास होने हेतु सरकार के समक्ष आया तो पूज्य आचार्य श्री शान्तिसागर जी महाराज ने बम्बई धारा सभा में उपस्थित उक्त बिल के रद हो जाने तक अनाहार का त्याग कर दिया। माँ श्री चन्दाबाई ने भी उक्त बिल को रद कराने के लिये भरसक प्रयास किया। माँ श्री का कहना था कि- हिन्दू धर्म के अन्तर्गत जैनधर्म को कभी नहीं माना जा सकता है। यह सर्वथा स्वतन्त्र है, अतएव हिन्दुओं के लिये बने कानून जैनों पर लागू नहीं होने चाहिये।
SR No.525036
Book TitleSramana 1999 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1999
Total Pages166
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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