SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 54
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रमण/जनवरी-मार्च/१९९९ गलत प्रयोग है यहाँ 'पुव्व' होकर २७ मात्रा हो जाती है। ५७९ पुत्तो पयावतिस्सा मियावईकुच्छिसंभवो भयवं। ३० नामेण (? नामा) तिविट्ठविण्हू आदी आसी दसाराणं ।। २८ यहाँ उत्तरार्द्ध के 'तिविट्ठविण्हू' शब्द की जगह प्रसंग से संबद्ध और ग्रन्थ के पादटिप्पण में दिये गये पाठान्तर 'तिविहदुविहू' शब्द उचित है। इससे पादपूर्ति भी हो जाती है। ५९१ अचलस्स वि अमरपरिग्गहाई एयाइं पवररयणाई। ३२ सत्तूणं अजियाइं समरगुणपहाणगेयाई ।। २७ यहाँ पूर्वार्द्ध के 'एयाई' के ए को तथा अन्तिम मात्रा को लघु मानकर मात्रा पूर्ण किया गया है। ६३२ चोरा रायकुलभयं, गंध-रसा जिज्झिहिंति अणुसमयं ।३०।। दुन्भिक्खमणावुट्ठी य नाम प (?ब) लियं पवज्जि (?ज्जी) ही (?) ।। २६ यहाँ उत्तरार्द्ध में ‘पवज्जिही' शब्द के 'ज्जि' के वैकल्पिक कोष्ठक के ‘ज्जी' को रखने पर पाद पूर्ण हो जाता है। ६७० आलोइयनिस्सल्ला समणीओ पच्चक्खाइऊण उज्जुत्ता ।। ३४ __उच्छिप्पिहिति धणियं गंगाए अग्गवेगेणं ।। २७ यहाँ पूर्वार्द्ध में ओकार को लघु मानकर तथा ‘पच्चक्खाइऊण' की जगह पच्चक्खाणेसु कर तथा अन्त गुरु को लघु मानकर पादपूर्ति की गयी है। ६८२ पाडिवतो नामेणं अणगारो ते य सुविहिया समणा ।३० दुक्खपरिमोयणट्टा छट्टऽट्टमत (वे) वि काहिंति ।।२५ यहाँ उत्तरार्द्ध में कोष्ठक के (वे) को गाथा में शामिल करने से भाव के बिना। परिवर्तन हुए छन्द पूर्ण हो जाता है। ६८३ रोसेण मिसिमि (संतो) सो कइवाहं तहेव अच्छी य । २५ __ अह नगरदेवयाओ अप्पणिया वित्तिवेसिया (बेति 'हे राय!) ।।२६ यहाँ पूर्वार्द्ध के कोष्ठक के (संतो) शब्द को 'मिसिमि' के साथ जोड़ देने और उत्तरार्द्ध के कोष्ठक के (बेंति 'हे राय!) वाक्यांश को 'वित्तिवेसिया' के स्थान पर रखने से अंत लघु को गुरु कर छन्द को पूरा करने के साथ गाथा का अर्थ भी प्रसंगानुसार सुसंगत हो जाता है। ६८८ सो दाहिणलोगपती धम्माणुमती अहम्मदुट्ठमती।३० जिणवयणपडि (डी) कुठे नासेहिति खिप्यमेव तयं ।। २६ यहाँ उत्तरार्द्ध में 'पडि' के स्थान पर कोष्ठक का (डी) शब्द रखकर ‘पडीकुटुं' बना देने से छन्द पूरा हो जाता है। aoxsssss&
SR No.525036
Book TitleSramana 1999 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1999
Total Pages166
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy