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जोगरत्नसार (योगरत्नसार) उत्कृष्ट स्थान (जहां आत्मा को परमात्मा का दर्शन हो जाता है।) अष्टम अंग- ध्यान की चरम परिणति। नाद-चेतना का प्रवाह (सामान्य अर्थ में ध्वनि)। अनहद नाद- दिव्यध्वनि । आश्चर्य (आत्मा का परमात्मा से मिलन का अनुभव) । मुस्कराये। खून । लेखक का नाम प्रतीत होता है।
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