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________________ श्रमण/जनवरी-मार्च १९९९ हर्षकीर्ति द्वारा रचित कल्याणमंदिरस्तोत्रटीका नामक एक अन्य कृति भी प्राप्त होती है, जिसका संशोधन उनके शिष्य महोपाध्याय देवसुन्दर ने किया। इसी प्रकार इनके एक शिष्य शिवराज ने अपने गुरु द्वारा रचित बृहद्शांतिस्तव की वि० सं० १६७६ में प्रतिलिपि की वि० सं० १६५६ में लिखी गयी सिरिवालचरिय (श्रीपालचरित्र) की प्रतिलेखन प्रशस्ति १४ में भी इस गच्छ के कुछ मुनिजनों के नाम ज्ञात होते हैं, जो इस प्रकार हैं उक्त छोटी-छोटी प्रशस्तियों के आधार पर इस गच्छ के मुनिजनों की एक तालिका निर्मित की जा सकती है, जो इस प्रकार है: चन्द्रकीर्तिसूरि (सारस्वतव्याकरणजदीपिका के रचनाकार ) मानकीर्ति (कल्याणमंदिरस्तोत्रटीका एवं अन्य कृतियों के कर्ता अमरकीर्ति चन्द्रकीर्तिसूरि 1 मानकीर्ति अमरकीर्ति मुनिधर्म ( वि० सं० १६५७ / ई० स० १६०१ में सिरिवालचरिय के प्रतिलिपिकार) मुनिधर्म ( वि० स० १६५७ / ई० स० १६०१ में श्रीपालचरित के प्रतिलिपिकार) हर्षकीर्ति शिवराज भावचन्द्र महो० देवसुन्दर (कल्याणमंदिरस्तोत्रटीका (सारस्वतव्याकरणदीपिका (गोपालटीका के रचनाकार) के संशोधक) की रचना के प्रेषक) पद्मचन्द्र (सारस्वतव्या करणदीपिका की रचना के प्रेषक) ११२
SR No.525036
Book TitleSramana 1999 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivprasad
PublisherParshvanath Vidhyashram Varanasi
Publication Year1999
Total Pages166
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Sramana, & India
File Size6 MB
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